केवल हिंदी में विचारों की अभिव्यक्ति के लिए आरम्भ किये 'चैतन्यपूजा' ब्लॉग के आठ वर्ष पूर्ण हुए। इस आनंद का अनुभव 'अटूट रिश्ता' इस काव्य में बांधने का प्रयास आज किया है।
मेरे गुरुदेव ने योगाभ्यास के लिए आवश्यक योग्यता, आचार-विचार की दृढ़ता ऐसे किसी भी निकषों का विचार किये बिना मेरे जैसे सामान्य व्यक्ति को महायोग की दीक्षा से कृतार्थ किया। इस महान योगसाधना के साथ ही शब्दों की इस चैतन्यपूजा का 'अटूट रिश्ता' भी केवल अपनी कृपा से ही दे दिया। यह काव्य मेरे सदगुरुदेव परम पूजनीय श्री नारायणकाका ढेकणे महाराज के चरणकमलों में समर्पण।
मेरे गुरुदेव ने योगाभ्यास के लिए आवश्यक योग्यता, आचार-विचार की दृढ़ता ऐसे किसी भी निकषों का विचार किये बिना मेरे जैसे सामान्य व्यक्ति को महायोग की दीक्षा से कृतार्थ किया। इस महान योगसाधना के साथ ही शब्दों की इस चैतन्यपूजा का 'अटूट रिश्ता' भी केवल अपनी कृपा से ही दे दिया। यह काव्य मेरे सदगुरुदेव परम पूजनीय श्री नारायणकाका ढेकणे महाराज के चरणकमलों में समर्पण।
एक रिश्ता
अपने आपमें परिपूर्ण,
एक बन्ध -- दृढ़ और गहरा,
कर्मबन्धनों से मुक्त करानेवाला
प्रेमसे प्रेमका,
अपने आपसे
अपनी आत्मा का,
एक रिश्ता जीवनभर का,
एक रिश्ता अनंत का,
अनमोल पलों का,
अनुपम भावों का,
आनंद का,
रिश्ता पूजा का,
अन्तःस्थ बहते शांत महासागर का,
शब्दोंके खिलते कमलों का और
उनके गहरे भावसुगंध का
मेरे साथ
इस काव्यसमाधि से योगजीवनका
अटूट रिश्ता अनंत से अनंत तक
अनंत से अनंत का
आत्मा से परमात्मा का
अटूट रिश्ता
चैतन्यपूजा का
@chaitanyapuja_
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