सदाही अशांत, अस्वस्थ, और चंचल रहनेवाले मन के लिए प्रेम जैसी कोई दूसरी औषधि नहीं हो सकती। प्यारकी मीठी यादों पर चैतन्यपूजा की नई प्रस्तुति, एक क्षणिका 'मीठी यादों में'
मनके भीतर गहरे मनमें
बसा मन सोचते हुुए रुक जाता है
मीठी यादों में जब तुम्हारी
खुदको ही वह खो देता है
ट्विटर: @Chaitanyapuja_
यह कविता मराठी में भी प्रकाशित है: तुझ्या आठवणींत
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बहुत खूब ...
जवाब देंहटाएंप्रेम ऐसा ही है ...
बहुत बहुत धन्यवाद दिगंबर नासवाजी। आपकी प्रतिक्रिया पर उत्तर लिखने में हुई देरी के लिए क्षमस्व।
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