अनुबन्ध विशिष्ट समयावधि के लिए किये जाते हैं। पर कुछ अनुबंध जीवनभर के लिए होते हैं। मेरा अनुबन्ध किसीके साथ जीवनभर के लिए हुआ है उसी जीवनानुबन्ध पर यह स्तोत्र।
स्तोत्र भगवान की स्तुति में कहे, गाएं या लिखे गए हैं। आजका स्तोत्र चैतन्यपूजा को समर्पित है। चैतन्यपूजा को ब्लॉग के रूप में आज सात वर्ष पूर्ण हुए।
चैतन्यपूजा मेरे लिए केवल ब्लॉग ही नहीं पर ईश्वर का मंदिर है, ईश्वर भी है और ईश्वर की आराधना भी। ध्यान, ध्येय और ध्याता इन तीनों का लय समाधि है। यहां, इस चैतन्यपूजा में, लेखनरूपी साधना का विषय, लेखन करानेवाला ईश्वर और लेखिका तीनों 'चैतन्य की पूजा' ही हैं।
अनुपम उपहार तुम
निर्भयसलिला शांति - स्वर तुम: चैतन्यपूजा ने जहां विरोध और आलोचना आवश्यक लगी -- सार्थक और व्यापक हितकारक विषय या समाधान के लिए -- समय समय पर उसे बिना किसी भय के अभिव्यक्त किया है पर अपने शांति स्वरों में ही।
ईश्वर की कृपा से लेखन होनेपर भी मनुष्यस्वभाव वश लेखन में दोष आना स्वाभाविक है। दोष सर्वस्वी मेरे हैं और सब कुछ सुंदर, दिव्य जो यहाँ अभिव्यक्त हुआ है वह चैतन्य का ही अविष्कार है। लेखन में मुझसे होनेवाली त्रुटियों की ओर उदार मनसे दुर्लक्ष करके इतने वर्ष, इतने स्नेह से जो आप सबने साथ और प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आपके प्रति केवल कृतज्ञता व्यक्त करना उचित और पर्याप्त नहीं, लेकिन मेरा एक और अनुबंध आप सबसे, पाठकों से लेखिका या ब्लॉगर के नाते जो ७ वर्षों से बना है वह आजीवन बना रहे ऐसी मैं ईश्वर से प्रार्थना करती हूँ ।
चैतन्यपूजा में अन्य पोस्ट:
आप चैतन्यपूजा में ट्विटर पर भी जुड़ सकते हैं: @Chaitanyapuja_
स्तोत्र भगवान की स्तुति में कहे, गाएं या लिखे गए हैं। आजका स्तोत्र चैतन्यपूजा को समर्पित है। चैतन्यपूजा को ब्लॉग के रूप में आज सात वर्ष पूर्ण हुए।
चैतन्यपूजा मेरे लिए केवल ब्लॉग ही नहीं पर ईश्वर का मंदिर है, ईश्वर भी है और ईश्वर की आराधना भी। ध्यान, ध्येय और ध्याता इन तीनों का लय समाधि है। यहां, इस चैतन्यपूजा में, लेखनरूपी साधना का विषय, लेखन करानेवाला ईश्वर और लेखिका तीनों 'चैतन्य की पूजा' ही हैं।
स्तोत्र: जीवनानुबन्ध
अनुपम उपहार तुम
संघर्षज्वाला में शीतल जल तुम
प्रवाहभंग जलतरंग
भक्तिमुग्ध काव्यरंग तुम
सरस्वती का गान तुम
बांसुरी की मधुर तान तुम
विद्यादात्री पूजा तुम
समृद्ध ज्ञानधन तुम
निर्भय सलिला,
शांति-स्वर तुम
दिव्य संस्पर्श,
हृदयस्थ गीत तुम
भावाक्षर उदधि तुम
मन के
खुलते
पिघलते
घुलते
मिटते
तरल मृदु पटल
दर्शाती साधना तुम
दर्शिनी साधिका भी तुम
सार्थक लेखनधर्म तुम
अक्षयअक्षर साधना तुम
मम प्राणसर्वस्व
हे चैतन्यपूजा
जीवनानुबन्ध तुम
जीवनानुबन्ध तुम
प्रवाहभंग जलतरंग: चैतन्यपूजा प्रवाह को भंग कर उठनेवाला तरंग है। ये प्रवाही है पर प्रवाह पतित नहीं, न ही प्रवाह जहाँ ले जाये उस दिशा में, प्रवाह की ही गति से बहना इसका स्वभाव है। वरन चैतन्यपूजा प्रवाह की दिशा को मोडनेवाली प्रभावशाली तरंग है।
निर्भयसलिला शांति - स्वर तुम: चैतन्यपूजा ने जहां विरोध और आलोचना आवश्यक लगी -- सार्थक और व्यापक हितकारक विषय या समाधान के लिए -- समय समय पर उसे बिना किसी भय के अभिव्यक्त किया है पर अपने शांति स्वरों में ही।
ईश्वर की कृपा से लेखन होनेपर भी मनुष्यस्वभाव वश लेखन में दोष आना स्वाभाविक है। दोष सर्वस्वी मेरे हैं और सब कुछ सुंदर, दिव्य जो यहाँ अभिव्यक्त हुआ है वह चैतन्य का ही अविष्कार है। लेखन में मुझसे होनेवाली त्रुटियों की ओर उदार मनसे दुर्लक्ष करके इतने वर्ष, इतने स्नेह से जो आप सबने साथ और प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आपके प्रति केवल कृतज्ञता व्यक्त करना उचित और पर्याप्त नहीं, लेकिन मेरा एक और अनुबंध आप सबसे, पाठकों से लेखिका या ब्लॉगर के नाते जो ७ वर्षों से बना है वह आजीवन बना रहे ऐसी मैं ईश्वर से प्रार्थना करती हूँ ।
चैतन्यपूजा में अन्य पोस्ट:
- श्वासयज्ञ
- चलते रहना है तब तक
- यही काव्य में जीना है
- शब्दसाधना
- यश दो हे भगवन
- प्राणप्रवाहिणी चैतन्यपूजा
आप चैतन्यपूजा में ट्विटर पर भी जुड़ सकते हैं: @Chaitanyapuja_
Such beautiful thoughts, Mohini. Thank you for being here and making this blogging world so much more wonderful for people like me. May your words fly high and wide and may they always remain fearless in the pursuit of expression and truth. Here's to many many more years of our journey to being inspired from ChaitanyaPuja!
जवाब देंहटाएंThank you Arti for being so supportive and encouraging through the journey of blogging since my beginning of blogging. Blogging has been such a blessing that gave me opportunity to meet inspiring friends like you. Thank you for the wishes which gives me strength today and will be my strength in future journey. :)
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