आज की प्रस्तुति चैतन्यपूजा के पांच वर्ष पूर्ण
होने के अवसर पर एक कविता। २५ नवम्बर को ब्लॉग के रूप में चैतन्यपूजा का सफ़र पांच
वर्ष के पड़ाव पर पहुंचा।
इस वर्ष हमने गणेश उत्सव में गणपति की प्रार्थना
और नवरात्री उत्सव में विभिन्न रूपों में प्रकट देवी माँ की उपासनारूप प्रार्थनाओं
से मनाया।
इन पांच वर्षों में चैतन्यपूजा के रूप में लिखने
मुझे जो मन:शान्ति की अनुभूति होती है वह मेरे लिए लिखने का सबसे बड़ा आनंद लगता
है।आज की कविता, मेरे लिए चैतन्यपूजा क्या है और इसने मेरे
जीवन को किस किस तरह से समृद्ध किया है।
चैतन्यपूजा का अर्थ मेरे लिए केवल लेखन नहीं, ये तो
महायोग की अविरत अखंडित प्राणसाधना है ...
परम पूजनीय सद्गुरूदेवकी कृपा से ही चैतन्यपूजा
है।
गुरूदेव को बार बार प्रणाम।
अक्षररूपिणी जीवनदायिनी॥
प्राणप्रवाहिणी चैतन्यपूजा॥ १ ॥
शब्दभावपुष्पकाव्य रूपिणी॥
प्राणप्रवाहिणी चैतन्यपूजा॥ २ ॥
ज्ञानदृष्टीदायिनी विवेकबोधप्रदायिनी॥
प्राणप्रवाहिणी चैतन्यपूजा॥ ३ ॥
शांतिदायिनी तपःस्वरूपा॥
प्राणप्रवाहिणी चैतन्यपूजा॥ ४ ॥
सद्गुरुकृपारूपिणी परमानन्ददायिनी॥
प्राणप्रवाहिणी चैतन्यपूजा॥ ५ ॥
निराकरास्वरूपा शब्दरूपधारिणी॥
प्राणप्रवाहिणी चैतन्यपूजा॥ ६ ॥
भावसमाधी प्रस्फुटिता स्वयंप्रकाशिनी॥
प्राणप्रवाहिणी चैतन्यपूजा॥ ७ ॥
कालकर्मसंशयनाशिनी अनासक्तिदायिनी॥
प्राणप्रवाहिणी चैतन्यपूजा॥ ८ ॥
धर्माधर्मसूक्ष्मविवेकप्रकटकारिणी॥
प्राणप्रवाहिणी चैतन्यपूजा॥ ९ ॥
ज्ञानभक्तिकर्मयोगफलस्वरूपा॥
प्राणप्रवाहिणी चैतन्यपूजा॥ १० ॥
आत्मस्वरूपस्थिता नित्यबोधप्रदा॥
प्राणप्रवाहिणी चैतन्यपूजा॥ ११ ॥
शाश्वतयशसुखदायिनी भवतापदुःखहारिणी॥
प्राणप्रवाहिणी चैतन्यपूजा॥ १२ ॥
चैतन्यपूजा में मेरे साथ जुड़ने के लिए, मुझे सतत प्रेरित करने के लिए और अपने स्नेह से मेरा उत्साह बढ़ाने के लिए...
आपको शत शत नमन।
आगे भी चैतन्यपूजा में आपका साथ और अधिक दृढ हो और स्नेह बढता रहे, यही आप सबसे प्रार्थना है।