भावस्पन्दन: अटलप्रवाह

अटलजी के जाने से हर ओर शोक फैल गया। आज की प्रस्तुति अटलजी को समर्पित कुछ पंक्तियां उनकीही कविताओं की ऊर्जा से प्रेरित।

एक सिसकी 
सहमी सी
चुपकेसे गिरी
जो आपको देखा जाते
कलम आज रो पड़ी, अटलजी!
कलम आज रो पड़ी

'AtalPravah' Hindi Kavya Text Image


आज आपको जाते देखा 
सृष्टि को शोक मनाते देखा 

आंसुओं ने भर दिया ह्रदय का आकाश 
अन्धेरेने पराजित कर दिया उम्मीदोंका प्रकाश

मौन रहकर भी था मनमें कहीं आपका साथ  
क्षणमें टूटने से कर गया सबको अनाथ

तोड़ दिया आपके चुपचाप चले जानेसे  
अकेला कर दिया आपके दूर जानेसे

क्या रिश्ता था आपका इस कलम से
किस भयसे ये रो पड़ी?
आपसे बिछड़ने से?
या आपके काव्यप्रवाह के थमनेसे?
... .... ....
... .... ....
... .... ....   

"हार नहीं मानूंगा"
स्वर  गूँजने लगे
आक्रोश में डूबे हारे मन में 

निश्चय दिया फिरसे आपके शब्दों ने 
वही तेजस्वी वाणी 
चैतन्यदायिनी 
प्रतिभा का मूर्त रूप 
"गीत नया गाना है" 
प्रकाशपुंजसे स्वर गूँज उठे  

"वटवृक्षसे ह्रदय की 'ऊंचाई' पर 
चलना है और बहुत आगे 
क्षितिज से भी आगे  
कदम मिलाकर, गैरों को गले लगाकर 
अपना बनाना, कदम मिलाकर चलना है अभी"   

काव्यप्रवाह थमा नहीं   
वह तो है अखंड उर्जाप्रवाह 
उस तेजोमय कलम का 
प्रकाश भर देता है, 
जीवन भर देता है 
हर हारे दिल में 

"गीत नया गाना है 
सबको मिलकर, 
दिलोंको मिलाकर 
शांतिदूत भारत का सपना बुनना है अभी"

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ट्विटर: @Chaitanyapuja_


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