काव्य, जीवन के कटु - मधुर अनुभव और इन अनुभवों को साक्षी भाव से देखकर आनेवाली अंत:स्थिरता इनपर आजकी काव्यप्रस्तुति| जिन्दगी के सुख और दुःख, दोनों के, पलों में दिव्य शब्दों ने मुझे शक्ति दी; साथ दिया| इन शब्दों के लिए, इनके प्यार के जितना भी लिखा जाए, कम ही है...
शब्दों में जीना,
शब्दों में जीना,
हर रंग में शब्दों के जीना
शब्दों के रंगों से प्रेम होते देखना,
भावों की लहरों में अपने आपको खोते देखना,
फिर भी .....
फिर भी.....
इन लहरों से अलिप्त रहना,
यही कविता है,
यही जीना है; काव्य जीना है
हर पल में जीना,
पल-पल के बदलावों में जीना,
बदलाव की अनुभूति में जीना,
यही कविता है,
यही जीना है; काव्य जीना है
अंतर्बाह्य व्यथा देखना,
व्यथा की अनुभूति में जीना,
वेदना जीते-जीते भी अनासक्त होना,
अनासक्ति की अनुभूती होना,
यही कविता है,
यही जीना है; काव्य जीना है
अपने आपको बिखरते, टूटते देखना,
टूटने में भी अंत:स्थिरता देखना,
चंचल मनमें अविचल अंतर्मन को देखना,
यही कविता है;
यही जीवन जीना है
भावों में जीना,
भावों के रूपों जीना,
भाव के अभाव में,
अभाव की अनुभूति में,
अनुभूति की अनासक्ती जीना,
यही कविता है,
यही जीना है; काव्य जीना है
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