हिन्दू संस्कृति के अनुसार धार्मिक व्रत और ईश्वर की उपासना के लिए वर्ष का सबसे उत्तम समय चातुर्मास चल रहा है। इन चार पवित्र महीनों में विभिन्न व्रतों का पालन भगवान के भक्त कर रहे हैं। लगभग हर दिन, वार या तिथि को कोई ना कोई व्रत, उपवास, पूजा विशेष होते हैं।
चातुर्मास के निमित्त ये प्रार्थना प्रस्तुत है। वर्ष के इन चार महीनों के साथ ही जीवन के हर क्षण में प्रभु की आराधना स्वाभाविक रूप से होती रहे ऐसी आदर्श स्थिति, भक्ति की परम अवस्था -- भक्तियोग की ह्रदय में जाग्रति के लिए मेरे सखा, मेरे प्राण, मेरे जीवन भगवान के चरणकमलों में ये प्रार्थना है। उन्होंने सख्यभक्ति, प्रेमाभक्ति जीवन में लायी अब आत्मनिवेदन भक्ति के लिए यह प्रार्थना उन्हींको 'अर्पित '।
उन्होंने सख्यभक्ति, प्रेमाभक्ति जीवन में लायी अब आत्मनिवेदन भक्ति के लिए यह प्रार्थना उन्हींको 'अर्पित '।
उन्होंने सख्यभक्ति, प्रेमाभक्ति जीवन में लायी अब आत्मनिवेदन भक्ति के लिए यह प्रार्थना उन्हींको 'अर्पित '।
हर विचार मन में जो उठे
पूजा वह बन जाए
आपही की
आपही की
हर शब्द जिव्हा जो कहे
प्रार्थना एक बन जाये
आपही की
आपही की
स्वप्न जो मन देखने लगे,
खुली और बंद आँखों से
देखें बस
आपही को
आपही को
आरम्भ, मध्य और अंत में भी
हर कार्य मेरा एक पूजा बन जाए
आपही की
और हर पूजा जो हो मेरे मन से
हो आपही की
हर पूजा, हर रूप में,
स्वीकारें उसे मुस्कुराते हुए आपही
हे प्रभो! स्वीकारें उसे मुस्कुराते हुए आपही
मनके गुणदोष आपको ही समर्पित
आप पावन करें अब ये जीवन
सदासे से आपही को अर्पित
चैतन्यपूजा में चातुर्मास के लिए विशेष चुनी हुई प्रार्थनाएं:
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