व्यंग: हसते हसते सूखे और महंगाई से लड़ने के उपाय

मैंने दो वर्ष में देश का कितना विकास हुआ ये टीवी पर विस्तार से देखा, और रोज विज्ञापन भी देखती हूँ। पर मोदीजी से नफरत करनेवाले लोग इस विकास को मानते ही नहीं। माना कि किसान आत्महत्या कर रहे हैं, माना कि गर्मी और सूखे से परेशान पानी लाते लाते बच्चे मर रहे हैं, माना कि कुओं में डूबकर लोग मर रहे हैं; पर इस अँधेरे में भी सरकारी विज्ञापन बनाना कहाँ मना है? दो वर्ष के विकास की सतही चर्चा करना कहाँ मना हैं?



प्रतिमा: thisismoney.co.uk

सरकारी विज्ञापनों का ये जोश और इण्डिया गेट पर जश्न का जबरदस्त अंदाज मुझे बहुत भाया। जश्न में विकास की चर्चा करने के लिए पत्रकारों को छोड़कर फ़िल्मी सितारे होना तो बहुत बढ़िया कल्पना है। वैसे भी ये दुनिया एक रंगमंच ही तो है। गरीबी और दुःख दर्द की चर्चा करने के बजाए जश्न मनाना यकीनन सकारात्मकता का उत्कृष्ट उदाहरण है।

फिर भी काफी लोग दुखी हैं, निराश हैं आत्महत्या कर रहे हैं। सूखे, गर्मी या महंगाई से निपटने के लिए बहुत ही आसान रास्ता है। सरकार की सकारात्मकता को अपनाइए।

पहले तो मोदीजी को धन्यवाद दिजिए, क्योंकि उन्होंने देश का प्रधानमंत्री होना स्वीकारा। हम जानते ही हैं कि जनता की सेवा के अलावा सत्ता पाने दूसरा कोई उद्देश्य नहीं होता।फिर आपस में कहिए, पानी का स्तर कितना बढ़ गया है, देखो देखो...ऐसी खुशहाली तो ६० सालों में देखी नहीं थी। नजरिया बदलिए। फिर खाली कुओं को देखकर रोज ये दोहराया करिए। अगर टीवी हो तो विज्ञापन देखो। विज्ञापन से सीखिए कि घर में आग भी क्यों ना लग जाए फिर भी जश्न कैसे मनाते हैं।

मैं खुद भी यही करती हूँ, रोज मेरा देश बदल रहा है के विज्ञापन देख कर खुश हो जाती हूँ, और जब मैं विज्ञापन नहीं देखती हूँ तो खुद ही गाने लगती हूँ...मेरा देश बदल रहा है..वाह...! आत्महत्या की ख़बरें रोज ही आती है, पर मुझे बुरा नहीं लगता, मेरा देश जो बदल रहा है।

सुना है कि गम भुलाने के लिए लोग क्या क्या पीते हैं, पर गम भुलाना ही है तो इतने ख़ूबसूरत विज्ञापन है ना...ये सेहत के लिए हानिकारक भी नहीं। और सेहत सुधारनी हो तो दिन में चार बार सरकार की तारीफ कर दीजिए। कोई आलोचना करे तो जमकर उसका अपमान भी कर दीजिए। बहुत सोचने की जरूरत नहीं है. बस कह दीजिए "तुम सह नहीं पाए देश का विकास हो रहा है, देशद्रोही!"

"अब क्या बारिश भी सरकार ही लाये, खुद पानी क्यों नहीं बचाते? पिछली बारिश में तो बहुत पानी बर्बाद किया अब भुगतो!" इस तरह से बोलकर देश की सेवा करिए।

फिर भी हताशा कम ना हो तो मोदीजी की विदेश यात्राओं का कवरेज देख लीजिये। मैंने परसो अफगानिस्तान, क़तर के कवरेज का विज्ञापन देखा तो मुझे पता भी नहीं चला मैं कब मोदी मोदी चिल्लाने लगी। (विज्ञापन में यही दिखा रहे थे।) इसे कहते हैं ऊर्जा और सकारात्मकता। इन्सान कब अपनी समझ का बलिदान कर देता है, उसे खुद पता नहीं चलता।

मैंने कुछ दिनों पहले ईरान की यात्रा का कवरेज भी देखा था। मोदीजी जहाँ ठहरे हैं वो होटल कितना अच्छा है, होटल से पूरे तेहरान का नजारा कैसे दीखता है। किसकी किस्मत में है, आज मोदी जी देश की जनता की ओर से जा रहे हैं, हमें तो गर्व होना चाहिए।

अच्छा मान लिया कि विश्वभर में भारत की पहचान पहले से ही थी, पर अब देखिये दुनिया में इतने देश होते हैं ये हमें तो पहली बार ही पता चला। इतने सारे देश, और इतनी जगह सरकारी पैसे से घूमने का मजा...वाह! हाँ, पर ये सब देश के लिए ही है, हम सब के लिए ही है।

अगर आपके पास टीवी ना हो तो क्या करें? तो किसी मोदी प्रशंसक से मिले और मोदिकथा सुनकर अपने आपको धन्य कर लें। आपको लगेगा कि मैं आलोचना कर रही हूँ, पर जो भी हो रहा उससे कुछ सकारात्मक पहलु जो आपको पता नहीं, उन्हें आपको दिखानेभर की मेरी कोशिश है बस। हिंदी फिल्मों के कलाकारों के कार्यक्रम विदेशों में होते हैं, लोग उन्हें बहुत पसंद करते हैं। पर अब हमारे प्रधानमंत्री खुद ही इस तरह के शोज करने लगे हैं, इससे भारत की प्रतिमा कितनी अच्छी हो रही हैं, ये जरा सोचिए।

लोग महंगाई की बहुत शिकायत करते हैं। पर मेरा मानना है कि ये हमारा सरकार की तरह देखने का नकारात्मक नजरिया है। दूसरा कारण ये भी हैं, मोदीजी जो भी करते हैं हम मामूली इंसानों के समझ में नहीं आता। और हम नाराज हो जाते हैं। महंगाई का बड़ा फायदा है कि आप सब्जियां खरीदेंगे नहीं, दाल खरीदेंगे नहीं तो डायटिंग तो अपने आप हो जायेगी और मांस के बारे में तो सोचने का सवाल ही नहीं (जान प्यारी है ना!) डायटिंग से वजन घटेगा, फिगर अपने आपही मेंटेन हो जाएगा। ये सब फायदे बिना, किसी जिम और डायटीशन के। बिलकुल मुफ्त। जरा हिसाब तो करिये, कितने पैसे बच गए। मैं तो कहती हूँ कि १-२% टैक्स, सेस और लगा देना चाहिए। मुफ्त में वजन घटाने का टैक्स अलग से होना चाहिए। १० किलो से ज्यादा वजन कम किया हो तो १०% टैक्स और योगा करके किया हो तो १४%। मुझे पता है कि आप देशप्रेम की खातिर बिना बताये भी टैक्स दे देंगे। वजन घटाओ टैक्स।

पेट्रोल के बढ़ते दामों के कारण आप साईकिल का प्रयोग करेंगे या पैदल चलेंगे या फिर सर पे हाथ लगाकर अपनी किस्मत को कोसेंगे। प्रदुषण कम होगा, पैदल घूमेंगे तो कसरत तो हो ही जायेगी।

क्या कोई नेता इस देश में हुआ है जो योग और महंगाई के जरिए करोड़ों लोगों का वजन एक साथ घटाकर दिखाए? ये तो ऐतिहासिक क्रांति है। ऐसा नेता तो दुनियाभर में नहीं हुआ। आप कितनी बिमारियों से बच गए, आलोचना करने के बजाए शुक्रगुजार होना सीखिए।

और फिर भी आप निराश हो तो मोदीजी से हिम्मत सीखिए। किसी भी राष्ट्रप्रमुख के गले मिलते हैं, वो भी बिलकुल अनौपचारिक तरीके से। आपने कभी इतना प्यार, इतनी अनौपचारिता देखि हैं? राष्ट्रप्रमुख को अपने देश की इज्जत का ख्याल हो और भारत जैसी महासत्ता से संबंध अच्छे  बनाए रखने की चिंता हो तो चुपचाप सहे। क्या किसी राष्ट्रप्रमुख को दूसरा राष्ट्रप्रमुख उनके पहले नामसे पुकार सकता है? इन्सान में हिम्मत होनी चाहिए। अनौपचारिक गले मिलना हो तो उसके भी इतने अलग अलग तरीके कौन जानता होगा...दुनिया में प्यार बढ़ना चाहिए। हमेशा एक बात याद रखिए इतने महान नेता, विश्वनायक, सुपरहीरो ये सब सिर्फ हमारे देश के विकास के लिए कर रहे हैं। आलोचना करने से पहले थोडा सोच लीजिए, आपने अपने देश के विकास के लिए कितने लोगों को झप्पियाँ दी हैं? आप माने या ना माने मेरा सरकार की आलोचना करने का बिलकुल इरादा नहीं है, दो साल में मोदीजी जैसे बिंदास दुनियाभर में अपना प्रभाव छोड़ रहे हैं, मैं तो खुद निःशब्द हूँ।

अंततः कुछ खास: भारत में देशभक्ति के नाम पर घमासान चल रहा है और देश के बाहर जाकर अपने ही देशवासियों पे चुटकुले बनाये जाते हैं। आपने कल का भाषण सुना, इंडियंस या तो क्रिकेट, या फिल्में और कुछ नहीं मिला तो राजनेताओं के बारे में बात करते हैं। २ वर्ष के जश्न में भी मोदीजी का कहना था कि सरकार के सूक्ष्म, सटल, सतही जो भी काम हैं उनका आकलन किसीको होता नहीं।

जिन लोगों ने इतना प्यार दिया, भगवान तक बना दिया, बहुमत से जिताया उनके बारे में ये विचार बोलने की हिम्मत मोदीजी के अलावा और कौन कर सकता है। मोदीजी के भाषणों की इस तरह की बातें अगले चुनाव में कम से कम मैं तो जरूर याद रखूंगी। मोदीजी गलत नहीं बोलते, वाकई लोगों की राजनैतिक समझ परिपक्व होती तो १५ लाख की बात को सच नहीं मानते। किसीके लिए पागलपन की भी हद है, ये तो कोई भी समझ सकता है कि क्या ऐसे ही बैंक में १५-२० लाख जमा होते हैं।
प्यार अँधा होता है, ये सिर्फ जुमला नहीं, ये सच है।