ईश्वर के विभिन्न रूपों के नाम का जप करने की परंपरा काफी पुरानी है। राम, कृष्ण, शिव, देवी माँ इनके अनेकों नाम हैं। नामजप में अपनी इष्टदेवता के नाम का जप किया जाता है या सद्गुरू द्वारा बताये मन्त्र या नाम का भी जप किया जाता है। मेरे गुरुदेव महायोग साधना के अलावा अन्य समय में नामस्मरण करने की आवश्यकता बताते थे।
सद्गुरुदेव किसी विशिष्ट नाम का आग्रह नहीं करते थे, उनका कहना था कि भगवान के जिस भी नाम का स्मरण करना अच्छा लगे उसे करते रहना चाहिए।
अपने आराध्य शक्ति के मन्त्रों के जप की परम्परा हिन्दुओं के अलावा अन्य धार्मिक मतों में भी दिखती है।
प्रभु नाम एक आधारा:
प्रभु नाम एक आधारा
प्रभु नाम मम आधारा
वेदों का सार,
वेदज्ञान का प्रकाश
प्रभु नाम एक आधारा
ज्ञान भक्ति प्रकाशक
प्रभु नाम एक आधारा
अखंड साथ निभाए
संकट विपदा से दूर रखे
प्रभु नाम एक आधारा
निराकार प्रभुस्वरूप
समाहित इसमें
ईश नाम एक आधारा
प्रभुप्रेम के अलौकिक स्पंदन
मुक्तिबीज प्राणदायक
प्रभु नाम ही एक आधारा
प्रभु नाम
प्रभुस्वरूप से मिलानेवाला
प्रभु नाम एक आधारा
साधना पथ स्वयं प्रकाशक
साधना विघ्न स्वयं निवारक
प्रभु नाम ही एक आधारा
भक्तों को भयरहित करनेवाला
प्रभु नाम एक आधारा
मनका लय शाश्वत, सहज
तपका साधन कष्टरहित
आनन्दसागर हृदय से उमड़नेवाला
प्रभु नाम एक आधारा
प्रभु प्रेम स्वयं निभानेवाला
शोक-क्लेश को हरनेवाला
प्रभु नाम एक आधारा
सर्वव्यापी परमेश्वरका
हृदय में परिचय करानेवाला
एक प्रभु नाम
प्रभु नाम ही बस एक आधारा
प्रभु कृपा की वर्षा
प्रभु प्रेम की वर्षा
जीवन का हर क्षण
जीवन का हर श्वास
प्रभु नाम ने ही आकर्षा
प्रभु नाम एक आधारा
प्रभु प्रेम एक आधारा
भगवान के नाम और गुणों के गान पर अन्य काव्य:
- प्राणाधार रामरक्षा
- जपना है बस तुम्हाराही नाम, मेरे राम
- श्रीरामनाम
- श्वास तुम, ध्यास तुम
- मन से पुकार लो एक बार
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