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07 अक्तूबर 2015
कविता: मृदुमना
कुछ ऐसेही आज लिखने का मन हुआ,
आपका गुस्सा,
आपकी हताशा,
आपकी नफरत?
मैं फिर भी वही हूँ...
बदली नहीं जरा भी,
हमेशा की तरह
मधुर,
शांत,
और
मृदुमना
This poem in English from Narayankripa:
Immune
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