कविता: मृदुमना प्रस्तुतकर्ता Mohini Puranik को अक्तूबर 07, 2015 लिंक पाएं Facebook Twitter Pinterest ईमेल दूसरे ऐप कुछ ऐसेही आज लिखने का मन हुआ, आपका गुस्सा, आपकी हताशा, आपकी नफरत? मैं फिर भी वही हूँ... बदली नहीं जरा भी, हमेशा की तरह मधुर, शांत, और मृदुमना This poem in English from Narayankripa: Immune दोस्ती की बात निकली ही है तो कुछ और कविताएँ इसी विषयपर: अनकही भावनाएँ ... तो मुझसे बात करो प्यार होता है...