चैतन्यपूजा में जुड़े हुए सभी मित्रों को गणेश
चतुर्थी और गणेश उत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ| आज की प्रस्तुति हम सबके प्यारे गणपति
बाप्पा की प्रार्थना में स्तोत्र है|
वैसे तो भगवान गणेशजी मंदिर में विराजे हो या घरमें उनकी कृपा तो एकसमान ही होती है, फिर भी यह प्रार्थना विशेषरूपसे पुणे के सारसबाग़ के
गणेशजी के लिए मनमें आई|
प्रतिमा: कृष्णमोहिनी प्रतिमा संग्रह से
हे विनायक, बुद्धिदायक,
नमन तुमको हे गजानन|
तव कृपा की आस लेकर,
प्रार्थना है यह हे गजानन|
शुद्ध भाव से तव भजन हो,
अविचल मनसे तव भक्ति हो|
नित्य नवआराधना करूँ,
तव पूजा में ही मन रमाऊँ|
यशापयश में बुद्धि स्थिर रहे,
विवेक ह्रदय में जाग्रत रहे|
मान-अपमान से मन अलिप्त हो,
ईशभक्ति में सदा आसक्त हो|
क्रोध मोह से जीवन मुक्त हो,
अंत:शांति से हर क्षण तृप्त हो|
तव कृपा की सदैव वर्षा हो,
नित्य दिव्य काव्य का स्फुरण हो|
शब्दों में अपार शक्ति तुम्हारी भरे,
प्रेरणास्रोत मेरा काव्य बने|
हे विनायक, बुद्धिदायक
चैतन्यपूजा में प्रकाशित प्रार्थनाएँ:
यही कविता मराठी में: नमन तुजला हे गजानना
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