आज की कविता...कृष्ण कृष्ण ..कृष्ण के लिए..
कृष्ण की कथा
कृष्ण के गाने
कृष्ण की ही बातें
कृष्ण के ही आँसू
कृष्ण की पूजा
कृष्ण की बांसुरी
कृष्ण का प्यार
और अब
कृष्ण की ही 'मोहि'
कृष्ण की यादें
कृष्ण का साथ
कृष्ण का ध्यान
और
कृष्ण की मधुर मुस्कान
कृष्ण पर क्रोध
कृष्ण से रूठना
कृष्ण से लड़ना
और फिर
क्षमा नहीं
और गुस्सा करना
कृष्ण के लिए
तुलसी लगाना
कृष्ण के लिए
भागवत पढना
कृष्ण की गीता
कृष्ण के लिए गाना
कृष्ण के लिए
रोते रहना
कृष्ण को पुकारना
कृष्ण का विरह
असहनीय होना
कृष्ण के मिलन की प्यास
कृष्ण से ही शुरू हर आस
कृष्ण को ही पाना
कृष्ण को ही गाना
कृष्ण ने ही जब
चुरा लिया मुझको
तो अब मुझे क्या है करना?
कृष्ण कृष्ण कृष्ण कृष्ण
गाते गाते................
..............................
मैं इसे अधुरा छोड़ रही हूँ क्योंकी कृष्ण कृष्ण कहते कहते प्रेम की जो धारा मनसे बहने लगती है....
आगे कुछ भी समझ में नहीं आता...प्रेमभाव सबसे ऊँचा और सबसे गहरा, अति सुन्दर, अति मधुर है...
हे कृष्ण! इस कविता को अधुरा ही रहने देना क्योंकी प्रेम भी कभी पूरा - पूर्ण होता है... ?
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जब कृष्णमय हो मन
जवाब देंहटाएंफिर कैसे लगे दुनिया में मन
..सुन्दर कृष्ण रंग में रंगी प्रस्तुति ...
बिलकुल मेरे ही मन की बात कह दी आपने कविताजी! आपका बहुत बहुत आभार! :)
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