कविता: प्यार

आज प्यार की गहरी बात, बहुत ही कम शब्दों में 


तुम, मैं 
और 
प्यार 
सिर्फ प्यार 
न कोई इजहार
न कोई तकरार
न कभी इंतजार 
तुम, मैं 
और 
सिर्फ प्यार 
बस....प्यार 

मेरी कल्पना में सबसे अच्छा, सबसे आदर्श प्यार यही होता है कुछ कहने की भी जरूरत न हो और अगर एक आदर्श प्रेम की कल्पना हो सकती है, तो मुझे लगता है, वह कल्पना वास्तव भी हो सकती है यही तो काव्य की खूबसूरती है कि काव्य एक कल्पना की सृष्टी का सृजन करता है जो वास्तव जीवन को सुन्दर बनाने में प्रेरणा बने

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