बादलों की तरह मन पर जमा होती हैं विचार
तरंगे,
आसमान जैसा आत्मा का स्वरूप फिर भी
निर्विकार, शांत, और अलिप्त
विचारों की लहरें बेचैन करती हृदय को
आत्मा का स्वरूप आत्मानंद से शांत और
तृप्त
कर्मों के बंधन व्यापते मन और शरीर
को
आत्मा फिर भी अलिप्त चैतन्य का विशाल
अमर्याद सागर