कविता: इन्सान खिलौनों की तरह चावी से नहीं चलते

मानवी मनका अहंकार ऐसा होता है कि जब रिश्ते कमजोर होने लगते हैं तो उसका कारण ढूंढने के बजाए वह इन्सान को एक के बाद एक और गलतियां करने पर मजबूर करता है 

भावनाएं बाजारों में
थोक में नहीं मिलती
रिश्ते बहुत खास होते हैं


दिल को तराजू में नहीं तोल सकते
कि सस्ते हैं कुछ देकर खरीद लिए जाए

एहसास वो बहुत खास होते हैं
रिश्ते की ड़ोर को मजबूत जो बनाते हैं

उन्हें तोड़ने की भूल मत करना
वो एहसास खास बार-बार लौटकर नहीं आते

जिन्दगी हाथ से फिसलती जाती है
रिश्ते देखते देखते दूर होते जाते हैं

टूटे खिलौने बार-बार नहीं जोड़े जा सकते
दिल से खिलौनों की तरह खेलने की भूल मत करना
टूटे रिश्ते बार-बार जोड़े नहीं जाते

नकली दुनिया के नकली आभास में
जिवंत भावनाएं कुचलने की गलती मत करना
इन्सान खिलौनों की तरह चावी से नहीं चलते

रिश्तों को अपने अहंकार से 
चलाने की भूल मत करना 
रिश्ते, एहसास, दिल जो टूट जाते हैं 
नकली दिखावे से जोड़े नहीं जा सकते 

विष अहंकारी क्रोध का
विष नफरत भरे दिल का 
दिल को जला डालता है
नफरत के विष से दग्ध हृदय

नकली माफी से सींचे नहीं जा सकते

टूटे रिश्तों के भी एहसास होते हैं 
नकली दिल जिन्हें पढ़ नहीं सकते