आज शाम को हल्की हल्की बारिश हुई और मौसम बहुत ही खुबसूरत रहा। धुप खिली भी थी और बारिश भी...ऐसे सुहाने मौसम में क्या कविता हो सकती है? ..आज की कविता इस धुप की राहत इस बारिश पर..
हल्की हल्की बारिश जो आई
याद फिरसे उनकी आई
क्यों बीते दिनों की यादें
हवा साथ उड़ा लाई
क्यों याद आज फिरसे उनकी आई?
यादें वो मीठी-मीठी
हसने और लड़ने की
यादें वो भीगी-भीगी
भीगी बारिश में मिलने की
क्यों धूल बनकर फिर
आज आँखों में आई?
क्यों याद आज फिरसे उनकी आई?
तपती धूप में बारिश
ये कैसी ख़ुशी लाई
हर मुश्किल में उनकी दोस्ती
जैसे प्यार बनकर फिरसे आई
क्यों याद आज फिरसे उनकी आई?
खिला खिला यह मौसम
जैसे मिलने की घड़ी फिरसे आई
खिल गया फिरसे ऐसा मन
मिलन की हर घड़ी याद आई
क्यों याद आज फिरसे उनकी आई?
धूप से तड़पता मन
बारिश की बूंदे सुकून लाई
दूरियों मजबूरियों के बाद
जैसे हर बात होती थी उनसे
क्यों याद आज फिरसे उनकी आई?
मौसम के ये अनुपम रंग
प्यार से खिल गया है मन
बस उनका साथ मिल जाए फिरसे
भीगे प्यार से फिर से जीवन
क्यों याद आज फिरसे उनकी आई ?
बूंदों का यह शांत स्पर्श
कैसा यह सुकून ला रहा है मनमें
जैसे हर बात उनकी
जैसे हर बात उनकी
छू लेती थी दिल की गहराइयों में
क्यों याद आज फिरसे उनकी आई?
काश हाल उनके दिल का पता होता
कहीं ऐसीही तड़प उधर न लगी
आँखों में चुभती यह धूल
उनका दर्द मुझतक लाई
क्यों याद फिरसे उनकी आई...
समझ रही हूँ अब मैं
क्यों याद आज फिरसे उनकी आई...?
हल्की हल्की बारिश जो आई
याद फिरसे उनकी आई
क्यों बीते दिनों की यादें
हवा साथ उड़ा लाई
क्यों याद आज फिरसे उनकी आई?
यादें वो मीठी-मीठी
हसने और लड़ने की
यादें वो भीगी-भीगी
भीगी बारिश में मिलने की
क्यों धूल बनकर फिर
आज आँखों में आई?
क्यों याद आज फिरसे उनकी आई?
तपती धूप में बारिश
ये कैसी ख़ुशी लाई
हर मुश्किल में उनकी दोस्ती
जैसे प्यार बनकर फिरसे आई
क्यों याद आज फिरसे उनकी आई?
खिला खिला यह मौसम
जैसे मिलने की घड़ी फिरसे आई
खिल गया फिरसे ऐसा मन
मिलन की हर घड़ी याद आई
क्यों याद आज फिरसे उनकी आई?
धूप से तड़पता मन
बारिश की बूंदे सुकून लाई
दूरियों मजबूरियों के बाद
जैसे हर बात होती थी उनसे
क्यों याद आज फिरसे उनकी आई?
मौसम के ये अनुपम रंग
प्यार से खिल गया है मन
बस उनका साथ मिल जाए फिरसे
भीगे प्यार से फिर से जीवन
क्यों याद आज फिरसे उनकी आई ?
बूंदों का यह शांत स्पर्श
कैसा यह सुकून ला रहा है मनमें
जैसे हर बात उनकी
जैसे हर बात उनकी
छू लेती थी दिल की गहराइयों में
क्यों याद आज फिरसे उनकी आई?
काश हाल उनके दिल का पता होता
कहीं ऐसीही तड़प उधर न लगी
आँखों में चुभती यह धूल
उनका दर्द मुझतक लाई
क्यों याद फिरसे उनकी आई...
समझ रही हूँ अब मैं
क्यों याद आज फिरसे उनकी आई...?