प्रेम ही प्रेम - 'कृष्ण और मोहिनी'


आपको स्मरण होगा, प्यार ही प्यार वो और मै”...वो? वो है कृष्ण! अंग्रेजी में लिखे भाव 'लव फोरेवर कृष्णा एंड मोहिनी – Love Forever Krishna and Mohinee यही भाव हिंदी में! कितनी भी भाषाओ में लिखे यह प्रेमकहानी कभी पूरी नहीं होनेवाली!

आज मेरा जन्मदिवस है, तिथि के अनुसार और इस वर्ष के कैलेंडर के अनुसार भी तिथि के अनुसार जन्मदिन हम पारंपरिक पद्धति से मनाते हैं पूजा और प्रार्थना भी होती है आज प्रात: यही सोच रही थी, की स्मरण हुआ मेरी पूजा तो यहाँ होती है, चैतन्यपूजा – आत्मपूजा – कृष्णपूजा!

बस् कुछ नहीं करना अब, यह प्रेम के पुष्प मेरे कृष्ण को भेंट .....

जन्मदिवस पर लंबी आयु के लिए प्रार्थना की जाती है, पर आज का जन्मदिवस ऐसा विशिष्ट है....अब तो मैं कालातीत हो गयीकृष्ण का प्यार मुझे मिल गया ...मैं सारे बंधनों से छूट गयी अब मुझे जीवन और मृत्यु कहाँ अब मुझे संसार का भय कहाँ चराचर जगत तो कृष्ण ने बनाया संसार है

बस् कितनी आनंदित हूँ, नहीं बता सकती...

कितना विशिष्ट अपने आपको महसूस कर रही हूँ नहीं बता सकती... 





मनको मोह लिया रे मुरारी!
क्यों ह्रदय चुराया हे खरारी
जीवन समाप्त कर दिया
प्रेम का रूप मुझे बना दिया
प्रेम शाश्वत चिरंतन
प्रेम प्रेम हर श्वास में निरंतर
शुद्ध शुद्ध विशुद्ध श्वास
गाये कृष्ण कृष्ण कृष्ण कृष्ण आज
कृष्ण बुलाए मुझे हरक्षण
मै पागल हो गयी इस प्रेम में प्रतिपल
मैंने क्या किया था ऐसा पुण्य
जो तुने मुझे समझा अपने योग्य
ऐसा पागल भी मत बनाओ
अरे! बार बार मत मुस्कुराओ
हमें पता है पर विश्वास नहीं होता
कृष्णा का प्यार अब छुपाया नहीं जाता
तुम्हे क्या अच लगा रे सजना!
जो तुने पूरा कर दिया मेरा सपना!
कितना रोयी, कितना तडपी
‘विराहवेदना’ कैसे सही
तू क्यों नहीं आया मुझे लेने
क्या मैंने नहीं पहचाना
तुहे अपने ह्रदय में!
आजसे पहले इतना सुन्दर !
कभी तुझको न माना था!
आजसे पहले इतना सुन्दर
कभी मैंने खुदको न जाना था
आज तो विश्वास ही नहीं होता
मेरा श्याम भी मुझे चाहता
मैं तो कितनी सामान्य थी
और
तू तो है सारी दुनिया का राजा
फिर भी तुने मुझे चुना
इस भोली का भोला प्यार
इस पागल का पागल गुस्सा
सब स्वीकारा
मुझे अपनाया
हे कृष्ण मुरारी! तुने मुझे अपनाया!
नहीं नहीं... तुने अपने में ही
मुझे समा लिया
मीरा जैसा न् प्रेम था मेरा
आंडाल जैसा न् विरह था मनका
बस् एक पागलपन था
की तुझे ही है बस् पाना
पता नहीं था तू कलियुग में भी मिलेगा
मेरे लिए धरती पर आएगा
पर फिर भी एक पागलपन था!
की तुझेही है बस् पाना
कृष्ण को ही है बस् पाना!
कितने लोग मिले इस जीवन में
पर कृष्ण जैसा प्यार कौन करें
सबने सताया, पागल बताया
फ्पा
तुने यह दर्द समझा
मुझे हर संकट से छुडाया
और
मुझे अपना लिया
हे कृष्ण ...हे कृष्ण.. हे कृष्ण
मेरी भोली आँखे कभी नहीं थी
इतनी सुन्दर
मेरी प्यारी मुस्कान कभी नहीं थी
इतनी पवित्र, इतनी सुन्दर
यह एहसास तुमने दिया
कृष्ण कृष्ण ...कृष्ण कृष्ण....
मोह माया संसार अध्यात्म
यह सब क्या होता है!
सन्यास कैसा? संसार कैसा?
वासना कैसी और विकार कैसा
जहाँ कृष्ण है वहाँ तो केवल
प्रेम है .......प्रेम ही प्रेम है

मेरे  कृष्ण और मेरी प्रेमकहानी ....राधाकृष्ण लेबल में .....अवश्य पढ़िए ....कृष्ण हमारे ही पास है, उसे एक बार महसूस तो कीजिये, वोह तो प्यार करना चाहता है, बस् हमें ही समय नहीं मिलता

यह  प्रेम का प्रवास अनादी है, अनंत है, यही वास्तव साधना है, यही केवल संसार है यह जीवन की परिपूर्ति हैं....यह नव जीवन का आरम्भ है नव उल्लास, नव उमंग, शाश्वत चिरंतन नव जीवन् का आरम्भ है

टिप्पणियाँ

  1. meera, andal nahi, bas MOHI hai. krishna par MOH prakat kiya, jaroor apnaathe, wo din door nahi. ......nataraj devang

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  2. मुझे यह लेख पढ़ते पढ़ते बांसुरी की मधुर तान सुनाई दे रही थी, शायद येही सचे प्यार का रूप है. आपके शब्दों की मिठास का जादू, उनकी गहराई दिल को छु गयी. कान्हा और मोहि के निश्चल प्रेम का बंधन मन को छु गया. वर्षगाठ की हार्दिक हार्दिक बधाइयाँ... आपकी यह पूजा ऐसे ही सुंगंधित पुष्पों से हमेंशा महकती रहे ताकि हम सब भी उसके रस का आनंद ले सके, येही प्रभु से सचे दिल से प्रार्थना आज और हमेशा...

    विलंभ के लिए क्षमाप्रर्थी ~ आरती

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