सुनहु गोपाल मेरे


आज की प्रस्तुति क्या है, यह मैं कैसे बताऊँ, श्री राधाजी का प्रेम और विरह कौन जान सकता है, मेरे लिए राम – कृष्ण और राधा – सीता कोई भेद नहीं है|




सुनहु हे गोपाल मेरे
प्राणपति कौन तुमबिन मेरे
समझे ना यह जग
प्रेम हमारा
नाता अटूट यह
जगसे निराला
जन्मों जन्मों से तेरा मेरा
प्रेम अनादी रिश्ता पुराना
जग समझे मुझे आम नारी
मैं तो हूँ राधा तुम्हारी
अनादी मैं, अजन्मा मैं
जन्मों जन्मों से सखि तुम्हारी
कौन समझे यह प्रीत हमारी
क्लेश मम यह सहा न जाए
तुझ बिन राघव रहा न जाए
कैसे कोई पति होवे मेरा
जीवन सब कुछ जब
राघव मेरा
कोई न समझे इस राजको
राधे तेरा प्रेम मैं जानूँ
अधीर मत हो बस मुझे ही मानो

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