भावस्पन्दन: जीवनकाव्य बना चैतन्यपूजा

मेरा अंग्रेजी ब्लाग गुरुकृपा ४ जुलाई २०११ को एक वर्ष पूरा कर रहा है । मेरा मराठी ब्लाग  विचारयज्ञ और यह चैतन्यपूजा गुरुकृपा का ही अंग है।यह सब मेरे सपनोंका सफ़र है। ईश्वर और परम पूजनीय सद्गुरुदेव श्री नारायणकाका महाराज की कृपा से पहला काव्य स्फुरित हुआ मेरे 'राघव' पे और फिर गुरुकृपा पे। ब्लॉग का प्रारंभ भी ऐसेही हुआ - नाम गुरुकृपा और पहला आलेख राघव पे। 

यह संयोग है या ईश्वर की इच्छा ? 

इस सफ़र की और मेरे जीवन की यांदें इस काव्य में।

मेरे लिए यह उपलब्धी अति महत्वपूर्ण और विशिष्ट है, क्योंकि मेरा यह सफ़र

अँधेरे से प्रकाश का सफ़र है,
अंतरमें  और जीवन में चल रहे संघर्ष से अमिट ज्ञान का सफ़र है ....
करोड़ों निराश और बुझते ह्रदयों में आशा का प्रकाश फैलाने वाला सफ़र है...इसकी शुरुवात बचपन से हुई थी, ब्लागिंग बस नया माध्यम है ........




अकेली चल पड़ी थी इक राह पे 
थाम के हाथ राघव का 
अँधेरा था सामने मगर 
पैर ना थके ना रुके इस डगर पर 
भय नहीं था अँधेरे का 
जब साथ था मेरे राघव का 
अँधेरे में सब ओर दिखा  
महारूप व्याप्त महाकाली का 
काली वह माता महाकाली 
सृष्टि स्थिति प्रलय करनेवाली 
माता मेरी महाकाली 
ह्रदय में भरा प्रेम था इस राह पे 
पथ पे चलने का दृढ़ निश्चय था 
भय नहीं था मुझे जराभी किसीका 
क्योंकि साथ जो था मेरे राघव का 
राघव ने सँभाला हर पग पर 
ह्रदय को पावन किया हर क्षण पर 
ह्रदय विशुद्ध बना 
अमिट ज्ञान फिर प्रगटा
प्रेम की सौगात बनकर 
गुरुकृपा का नव आविष्कार हुआ 
फिर चैतन्यपूजा बनकर
पूजा शुरू हुई अखिल ब्रह्माण्ड की
अँधेरा मिट के प्रकाश फैला
आँख खुली ज्ञान की
घर तो पाया मंजिल पे ही
क्योंकि
हाथ जो उसने थामा था
राघव ने जो साथ दिया था
साथ चले, साथ रुके
साथ हँसे, साथ रोये
प्यार ऐसा अनुपम मिला
राघव का साथ जो
इस जीवन को मिला
राघव अब हर श्वास में बस गया
राघव मेरे हर शब्द से बोल उठा
बस एकही गीत अब
ह्रदय बोल उठा
"राघव राघव हर कण में
राघव ही मेरे जीवन में"

साथ रोयें? क्या भगवान भी कभी रोतें हैं? -  हमें भगवान की याद में आसूं आयें तो क्या भगवान हमारे प्यार में नहीं रो सकते? हमारा प्यार शायद मीराजी जैसा ना हो, पर हैं तो हम भी भगवान की ही, हमारे राघव के ही।

इस सफ़र में आप सब ने साथ दिया बहुत प्रेम दिया। आप सब ईश्वर के अनंत रूप हैं.........

आप सबको मेरा ह्रदय से करोड़ों बार नमन ऐसाही साथ देते रहिएगा.....

पहले यह जीवन पथ अकेला था जो 'मैं' ने चुना था, अब यह जीवन पथ  जो 'ईश्वर' ने चुना है, आप सब के साथ विशाल राज पथ बन गया है .......

Twitter: @Chaitanyapuja_  

इसी स्वर्णिम सफ़र की अब तक प्रकाशित हुई स्वर्णिम यादें :

टिप्पणियाँ

  1. Hardik shubhkamnaye Mohini! Apka yeh blog nahi ek jeeta jaagta mandir hai.. Meri raghav se sache dil se yehi prarthana hai, ki apka yeh anmol safar yuhi jari rahe aur surya ki tarah hamare is andhkar bhare jeevan me prakash ki kirano ka sanchar karta rahe hamesha :-)

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  2. आरती जी मैने कलही आपकी सुंदर शुभकामनापे लिखा था, पता नही क्या हुआ, क्षमा चाहती हूँ|

    आपके प्यार के लिए कोई शब्द नही | बस् इतनाही बार बार कहना है | :)

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चैतन्यपूजा मे आपके सुंदर और पवित्र शब्दपुष्प.