tag:blogger.com,1999:blog-54748662384498333882024-02-07T09:17:11.741+05:30चैतन्यपूजाचैतन्य की पूजा में हृदय से उठे कुछ शब्दपुष्पMohini Puranikhttp://www.blogger.com/profile/14785651378350749989noreply@blogger.comBlogger212125tag:blogger.com,1999:blog-5474866238449833388.post-83338296562885086752019-02-12T20:02:00.001+05:302019-02-20T20:31:49.336+05:30हायकू: मुक्त
चैतन्यपूजा की नई प्रस्तुति हाइकू मुक्त।
पंख नहीं
फिर भी; शब्द उड़ें
पंछी जैसे मुक्त
ट्विटर: @chaitanyapuja_
Also In Other Languages:
Marathi: Mukta
English: Freeborn
चैतन्यपूजा में अन्य कविताएं:
एकत्व हमारा
अटूट रिश्ता
मीठी यादों में
चैतन्यपूजा में प्रकाशित होनेवाले नए आलेख और कविताएं अपने इनबॉक्स में Mohini Puranikhttp://www.blogger.com/profile/11971969513354282016noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5474866238449833388.post-76587175334721349242018-12-29T17:09:00.000+05:302019-01-09T23:28:17.686+05:30भावस्पन्दन: एकत्व हमारा
प्रेम के दिव्यत्व की अनुभूति आध्यात्मिक होती है। एकत्व का यह भाव भौतिकता से परे होता है। प्रेम के एकत्व पर चैतन्यपूजा में नई कविता 'एकत्व हमारा'। इस कविता की प्रेरणा हमारे फोटोब्लॉग कृष्णमोहिनी पर पोस्ट किया डिजिटल पेंटिंग है। इस पेंटिंग का विषय 'एकत्व - टुगेदरनेस' ही है। कला के रूप भिन्न भिन्न हो तो भी मूलतः कला का स्वरुप एक ही होता है चाहे वह पेंटिंग हो या काव्य, या संगीत।
Mohini Puranikhttp://www.blogger.com/profile/11971969513354282016noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5474866238449833388.post-29596364105458228552018-11-26T14:20:00.001+05:302018-11-26T14:21:08.956+05:30भावस्पंदन: अटूट रिश्ता
केवल हिंदी में विचारों की अभिव्यक्ति के लिए आरम्भ किये 'चैतन्यपूजा' ब्लॉग के आठ वर्ष पूर्ण हुए। इस आनंद का अनुभव 'अटूट रिश्ता' इस काव्य में बांधने का प्रयास आज किया है।
मेरे गुरुदेव ने योगाभ्यास के लिए आवश्यक योग्यता, आचार-विचार की दृढ़ता ऐसे किसी भी निकषों का विचार किये बिना मेरे जैसे सामान्य व्यक्ति को महायोग की दीक्षा से कृतार्थ किया। इस महान योगसाधना के साथ ही शब्दों की इस चैतन्यपूजा का 'Mohini Puranikhttp://www.blogger.com/profile/11971969513354282016noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5474866238449833388.post-28496214103136964792018-11-07T17:57:00.002+05:302018-11-07T18:13:40.603+05:30आशादीप
निराशा के अंधकार में डूबे हुए
मनों में आओ आशाओं के दीप जलाएं
प्रकाश तो खुदमें ही था
हमेशासे
बुझे हर मनको आओ फिरसे बताएं
मन जरा बुझा पर प्रकाश तो नहीं
अंधकार मात्र आभासी है
आशा लेकिन अमिट है
नई आशाओं का प्रकाश आज मिलकर
हर ओर फैलाएं
आओ, आशाओं दीप आज जलाएं
चैतन्यपूजा की ओरसे आप सभीको दीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।
।।शुभ दीपावली।।
Mohini Puranikhttp://www.blogger.com/profile/11971969513354282016noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5474866238449833388.post-85170686490053799952018-10-14T01:12:00.004+05:302018-10-14T01:23:49.769+05:30मंथन: देवी मां के भक्तों ने फेमिनिस्ट क्यों होना चाहिए।
नवरात्रोत्सव का उल्लास और उमंग हर ओर छायी हुई है। नवरात्रि में प्रतिदिन देवी मां की पूजा हम एक भिन्न रूप नौ दिनों तक करते हैं। इस नवरात्रि में जो परिदृश्य उभर कर सामने आ रहे हैं वह सबको चौंकानेवाले साबित हो रहे हैं। इनमें दूसरा जो परिदृश्य दिख रहा है उसमें श्रद्धावान धार्मिक हिन्दू (उनके अनुसार) सबरीमला मंदिर के हकों की रक्षा के लिए लड़ रहे हैं। क्योंकि इन भक्तों की मान्यता Mohini Puranikhttp://www.blogger.com/profile/11971969513354282016noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5474866238449833388.post-25197311203523430812018-09-30T08:46:00.000+05:302018-09-30T08:46:46.890+05:30क्षणिका: मीठी यादोंमें
सदाही अशांत, अस्वस्थ, और चंचल रहनेवाले मन के लिए प्रेम जैसी कोई दूसरी औषधि नहीं हो सकती। प्यारकी मीठी यादों पर चैतन्यपूजा की नई प्रस्तुति, एक क्षणिका 'मीठी यादों में'
मनके भीतर गहरे मनमें
बसा मन सोचते हुुए रुक जाता है
मीठी यादों में जब तुम्हारी
खुदको ही वह खो देता है
यह कविता मराठी में भी प्रकाशित है: तुझ्या आठवणींत
चैतन्यपूजा में Mohini Puranikhttp://www.blogger.com/profile/11971969513354282016noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-5474866238449833388.post-18285438926507822312018-08-22T19:53:00.002+05:302018-08-22T19:54:35.140+05:30सर्वमान्य और सर्व-स्वीकृत अटल
अटलप्रवाह ये कविता अटलजी को आदरांजली लिखने के प्रयास में बन गयी। गहरे शोक की इन भावनाओं लिखकर मैं शायद ठीक से समझ पाऊं इसलिए ये प्रयास। मैंने जो लिखने की कोशिश की है वह मेरी निजी भावनाएं हैं चाहे वह कविता 'अटलप्रवाह' हो या ये आलेख। मैंने नब्बे के दशक से राजनैतिक समाचारों में दिलचस्पी लेना शुरू किया हालांकि मुझे तब बहुत कुछ समझ में नहीं आता था। तबसे अटलजी के बारे में जो पढ़ा, सुना और समझने में Mohini Puranikhttp://www.blogger.com/profile/11971969513354282016noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5474866238449833388.post-7764232482968307322018-08-19T12:47:00.001+05:302018-08-19T12:47:21.555+05:30भावस्पन्दन: अटलप्रवाह
अटलजी के जाने से हर ओर शोक फैल गया। आज की प्रस्तुति अटलजी को समर्पित कुछ पंक्तियां उनकीही कविताओं की ऊर्जा से प्रेरित।
एक सिसकी
सहमी सी
चुपकेसे गिरी
जो आपको देखा जाते
कलम आज रो पड़ी, अटलजी!
कलम आज रो पड़ी
आज आपको जाते देखा
सृष्टि को शोक मनाते देखा
आंसुओं ने भर दिया ह्रदय का आकाश
अन्धेरेने पराजित कर दिया उम्मीदोंका प्रकाश
मौन रहकर भी था मनमें कहीं आपका Mohini Puranikhttp://www.blogger.com/profile/11971969513354282016noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5474866238449833388.post-81975948021169509322018-08-04T17:50:00.001+05:302018-08-10T22:29:33.211+05:30प्रार्थना: अर्पित
हिन्दू संस्कृति के अनुसार धार्मिक व्रत और ईश्वर की उपासना के लिए वर्ष का सबसे उत्तम समय चातुर्मास चल रहा है। इन चार पवित्र महीनों में विभिन्न व्रतों का पालन भगवान के भक्त कर रहे हैं। लगभग हर दिन, वार या तिथि को कोई ना कोई व्रत, उपवास, पूजा विशेष होते हैं।
चातुर्मास के निमित्त ये प्रार्थना प्रस्तुत है। वर्ष के इन चार महीनों के साथ ही जीवन के हर क्षण में प्रभु की आराधना स्वाभाविक रूप से Mohini Puranikhttp://www.blogger.com/profile/11971969513354282016noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5474866238449833388.post-26853430708347713282018-06-27T11:27:00.000+05:302018-06-27T11:27:59.166+05:30व्यंग: नेताओं की फकीरी
आजके समय में राजनीति में एक सकारात्मक बदलाव नजर आ रहा है। फकीर लोग झोला लेकर जनसामान्यों के नेता बन रहे हैं और अपने बढ़ते कार्य से जनता के जीवन में फकीरी का तोहफा ला रहे हैं।
आपको शायद ये लगे कि एक दार्शनिक सन्त के लिए नेता बनना कोई मुश्किल काम नहीं होगा। आखिर जिसे संसार का मोह छू नहीं सका उसे सत्ता क्या कर लेगी!
नेता होकर भी सन्त कैसे बने या संत होकर भी नेता कैसे बने ये विषय चिंतनीय जरूरMohini Puranikhttp://www.blogger.com/profile/11971969513354282016noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5474866238449833388.post-80235004336067272042018-06-13T14:14:00.001+05:302018-07-11T13:05:14.409+05:30कविता: छांव यादों की...
अप्रिल महिने में प्रतिदिन एक कविता ब्लॉग पर प्रकाशित करने का एक प्रयास किया था जो कि आप सबके प्रोत्साहन से यशस्वी भी रहा। वे कविताएं अंग्रेजी में हैं। उन्हीं में से एक कविता 'शैडोज' का हिंदी रूपांतरण आज की कविता 'छांव यादों की...' मुझे आशा है कि ये रूपांतरण भी आपको मूल कविता जितना ही सार्थ लगेगा।
छांव यादों की...
बिछड़ा कल?
या
अटूट पल!
--मोहिनी
ट्विटरMohini Puranikhttp://www.blogger.com/profile/11971969513354282016noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5474866238449833388.post-54847986662068742512018-03-01T19:30:00.000+05:302018-06-13T14:11:40.759+05:30भावस्पंदन: नयनाभिराम
रात के साढ़े ग्यारह बजे हमारी बस मुंबई से धुले की ओर चल पड़ी । बस धीरे धीरे शहर को छोड़कर हाईवे पर आते ही अपनी रफ़्तार तेज करने लगी। दो दिन मुंबई की अपरिचित भाग दौड़ से छूटकर अपने शांत धुले की ओर मेरा मन बस के साथ साथ तेजी से चलने के बजाय अभी भी भगवान स्वामीनारायण के मंदिर में ही रुका हुआ था। शांत, अविचल। भगवान की अति सुन्दर मूर्ती और मैं।
बीएपीएस स्वामीनारायण संस्था केMohini Puranikhttp://www.blogger.com/profile/11971969513354282016noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5474866238449833388.post-88972749776775825632018-01-24T14:05:00.001+05:302018-01-24T14:05:54.650+05:30 भावस्पंदन: मुक्ति है मनोलय
हृदय से कुछ पंक्तियां उठीं,
"मनसे ही है सृष्टि मनसे ही है प्रलय
मनमें विराजत काल, मुक्ति मनोलय"
उनका अर्थ जिस तरह से ह्रदय में प्रकाशित हुआ वह 'मनन' इस आलेख में।
सृष्टि में जितने भी लोक -- पृथ्वी, स्वर्ग, नरक या इनके अलावा -- जितने भी लोक माने गए हैं सब मन के ही कारण हैं, उनका होना या ना होना इस संदर्भ में होनेवाली हर अनुभूति मन के ही कारण है।
'मन के अस्तित्व के कारण सृष्टि केMohini Puranikhttp://www.blogger.com/profile/11971969513354282016noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5474866238449833388.post-70713393996999258482017-11-24T11:35:00.000+05:302018-11-26T14:09:07.576+05:30स्तोत्र: जीवनानुबन्ध
अनुबन्ध विशिष्ट समयावधि के लिए किये जाते हैं। पर कुछ अनुबंध जीवनभर के लिए होते हैं। मेरा अनुबन्ध किसीके साथ जीवनभर के लिए हुआ है उसी जीवनानुबन्ध पर यह स्तोत्र।
स्तोत्र भगवान की स्तुति में कहे, गाएं या लिखे गए हैं। आजका स्तोत्र चैतन्यपूजा को समर्पित है। चैतन्यपूजा को ब्लॉग के रूप में आज सात वर्ष पूर्ण हुए।
चैतन्यपूजा मेरे लिए केवल ब्लॉग ही नहीं पर ईश्वर का मंदिर है, ईश्वर भी है और ईश्वर Mohini Puranikhttp://www.blogger.com/profile/11971969513354282016noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-5474866238449833388.post-80987656792775626522017-10-26T09:00:00.000+05:302017-10-26T19:21:31.735+05:30श्वासयज्ञ: भाव चिंतन
चैतन्यपूजा में महायोग पर प्रकाशित स्तोत्र 'श्वासयज्ञ' के अर्थ और भावों का चिंतन।
शोक मोह सब छूट गए: सुख दुःखों से ही जीवन है। फिर भी कोई ये नहीं चाहेगा कि जिंदगी में शोक के प्रसंग से गुजरना पड़े। परंतु दुःख शोक को अनुभव करना ही न पड़े ऐसा शायद ही किसीका जीवन हो।
महायोग साधना के प्रति पुनः पुनः कृतज्ञता भाव हृदय में इसलिए उठता है क्योंकि साधना शोकग्रस्त होने से, मोहग्रस्त होने से Mohini Puranikhttp://www.blogger.com/profile/11971969513354282016noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5474866238449833388.post-79629334796428049252017-10-24T09:00:00.000+05:302017-10-26T19:21:46.184+05:30साधनास्तोत्र: श्वासयज्ञ
नवरात्रि के निमित्त महायोग साधनारूपी भगवती की आराधना और कृतज्ञता स्वरूप यह कविता लिखने का संकल्प था। पर जल्दी जल्दी में साधना पर स्तोत्र पूर्ण करने के प्रयास में साधना को ही समय ना दिया जाए तो यह विरोधाभास होता। स्तोत्र लिखने का सबसे बड़ा आनंद यह प्राप्त हुआ कि महायोग साधना के विषय में अधिक गहरा अवगाहन करने को मिला।
शोक मोह सब छूट गए
जब श्वासयज्ञ में मन मिट गयें
अनमोल साधना, साथ Mohini Puranikhttp://www.blogger.com/profile/11971969513354282016noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-5474866238449833388.post-70949674880688553452017-06-04T11:47:00.001+05:302017-11-28T17:24:43.147+05:30कविता: तुम ही तुम हो
ख्वाब तुम्हारे हैं
जिंदगी तुम्हारी है
जीने की आस तुम हो
मन की लगन तुम हो
मंज़िल तुम हो
मंजिल तक का रास्ता तुम हो
हाथ थाम लो मेरा, तुम तक के
इस सफर में साथी भी तुम ही हो
राह में मुश्किलें आएं या आंधी तूफ़ां
कोई डर नहीं अगर तुम हाथ थाम लो मेरा
तुम हो सब कुछ मेरे, हर पल में, हर गम में
हर खुशी में, जिंदगी के अंधेरे में, उजाले में भी
इस जिंदगी में बस अब तुमही तुम हो
चैतन्यपूजा Mohini Puranikhttp://www.blogger.com/profile/11971969513354282016noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5474866238449833388.post-89934265824597098782017-04-29T16:53:00.001+05:302017-11-28T17:14:30.999+05:30कविता: सांसों का सुकून
दूर रहकर भी कितने पास लगते हो तुम
पास होकर दिलके
दूर फिर भी क्यों लगते हो तुम?
साथ होकर भी मेरे क्यों जुदा से लगते हो तुम?
खामोश से रहकर भी सब कुछ कैसे कहते हो तुम?
इस दर्द की दवा क्या हो
की फासले मिट जाए पलभर में
इन दूरियों का अंत अब हो
की फासलों की दीवार टूट जाये एक पलमें
सांसों को सुकून तब मिले
की जिंदगी तुझमें सिमट जाए, इस दीवानगी में
अन्य ह्रदयस्पर्शी कविताएं:
आइना
दुआ
Mohini Puranikhttp://www.blogger.com/profile/11971969513354282016noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5474866238449833388.post-69320592851846446712017-04-14T15:07:00.001+05:302017-11-28T17:19:01.368+05:30कविता:इम्तिहान-ए-इश्क
इम्तिहान जब जब लेते हो मेरे इश्क का
इश्क हो जाता है तेरे इम्तिहान से भी
और कैसे बयां करूँ इस खुशी को मेरे खुदा
आखिर इम्तिहान के लिए तो तू मुझसे मिला
हर दुआ कबूल कर ली मेरी तूने उसी पल
जबसे इम्तिहान-ए-इश्क के लिए है मुझे चुना
चैतन्यपूजा में अन्य कविताएं:
एक रूह
दुआ
आइना
ट्विटर: @Chaitanyapuja_
Mohini Puranikhttp://www.blogger.com/profile/11971969513354282016noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5474866238449833388.post-31480902328750516652017-04-05T21:31:00.001+05:302017-11-28T17:23:48.315+05:30कविता: आइना
आयत की तरह पढ़ते हैं हर लफ्ज़ तुम्हारा
इबादत-ए-इश्क़ तुम्हारा है मजहब हमारा
पाकीज़गी आपके रूह की इबादत हमारी
हम आइना बन गए हैं जिसमें तस्वीर है तुम्हारी
चैतन्यपूजा में अन्य कविताएं:
इम्तिहान-ए-इश्क
एक रूह
तुम ही तुम हो
ट्विटर: Chaitanyapuja_
Mohini Puranikhttp://www.blogger.com/profile/11971969513354282016noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5474866238449833388.post-23399777768608352052017-03-09T20:24:00.001+05:302017-11-28T17:24:04.322+05:30कविता: एक रूह
क्या हमारी रूह अलग अलग है?
अगर है, तो बताओ
तुम्हारी कौनसी और मेरी कौनसी?
क्या अंतर है उनमें?
क्या रूह का रूप अलग होता है,
या रंग,
या नाम?
इस आग में ये कौन जल रहा है
वो रूह किसकी है
जलकर भी कौन जी रहा है
मरकर भी कौन जी रहा है
वो रूह किसकी है
वो अनसुनी सिसकी
वो किस रूह की है
तुम्हारी या मेरी?
क्या हमारी रूह अलग अलग हैं?
किसीने रूह को जलाया है
वो दर्द क्या है?
जो जल रहा है, वो क्या है?
बताओ, Mohini Puranikhttp://www.blogger.com/profile/11971969513354282016noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5474866238449833388.post-63095033409871641222017-02-24T11:19:00.001+05:302017-03-09T20:42:03.868+05:30प्रार्थना: मनमंदिर में बसे प्रभु तुम
महाशिवरात्रि के पावन पर्व निमित्त सदा योगसाधना में रमे भगवान शिव को समर्पित प्रार्थना।
संत ज्ञानेश्वर ने लिखा है कि आज भी भगवान शिव स्वयं भगवान होकर भी साधना पथ पर चल रहे हैं।
मनमंदिर में बसे प्रभु तुम
अब कौनसे मंदिर मैं जाऊं
बिल्वपत्र नहीं पूजा में
भावपुष्प पूजा में लाऊ
तुम बैरागी, बैरागदाता
शिव तुम मंगलकल्याणदाता
भस्म रमाए, ध्यान लगाए
योगियों के योगी महायोगप्रदाता
पूजा पाठ मन्त्र Mohini Puranikhttp://www.blogger.com/profile/11971969513354282016noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5474866238449833388.post-46672680747404422722016-12-29T20:39:00.002+05:302016-12-29T20:39:37.961+05:30कविता: दिल से दिल को लिखते रहे...
२०१६ के अंत में काफिया पोएट्री द्वारा सुझाए 'साल' विषय पर लिखी कुछ काव्य पंखुडियां
साल यूंही गुजर गया उनसे मिले बिना
हाल अपना बिगड़ता रहा उनसे मिले बिना
~~o~~
चाहत को सालों में कैसे गिने
प्यार को समय में कैसे बांधे
~~o~~
साल बदल जाएगा
ये मौसम बदल जाएगा
और आजका इंतजार भी कल
हमारे मिलन में बदल जायेगा
~~o~~
शायरी का जश्न मनाते रहे सालभर
दिल से दिल को लिखते रहे सालभर
~~o~~Mohini Puranikhttp://www.blogger.com/profile/11971969513354282016noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5474866238449833388.post-269822250121857932016-12-26T20:42:00.001+05:302016-12-26T20:42:43.454+05:30कविता: आदत
तुम आदत बन गए हो इस दिल की
सुबह शाम दिन रात मधुर लय हर धडकन की
एक तुम्हारी आदत ने मेरी दुनिया बदल दी
एक तुम्हारी आदत ने मेरी जिंदगी बदल दी
सिर्फ पागलपन नहीं है ये, सिर्फ प्यार भी नहीं
तुम्हारी आदत है सर्वोपरि मनमें कहीं
मनकी गहरी इच्छा कहूँ या कहूँ इसे पूजा
पर तुम्हारी आदत से अच्छा नहीं कुछ दूजा
तुम्हारी आदत नहीं है केवल मेरी कविता कहानी
ये आदत बन गई है अब दीवानगी रूहानी
Mohini Puranikhttp://www.blogger.com/profile/11971969513354282016noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5474866238449833388.post-88117219465204850852016-12-12T21:25:00.002+05:302017-10-26T19:29:07.755+05:30कविता: दुआ
दुआ कौनसी मांगें आपके लिए
जब आपका होना ही है दुआ हमारे लिए
दुआ किससे मांगें हम आपके लिए
जब खुदा भी तो आप ही हैं हमारे लिए
अन्य मधुर कविताएं:
खुबसूरत हैं वो पल
रौशनी है तुमसे
सिर्फ उनको
Twitter: @Chaitanyapuja
Mohini Puranikhttp://www.blogger.com/profile/11971969513354282016noreply@blogger.com