स्तोत्र: तुम मेरे साथ हो

आज विजयादशमी है नवरात्री का पर्व समाप्त होने जा रहा है इस वर्ष हमारे प्रिय मंदिर अर्थात ब्लॉग पर प्रार्थनाओं के माध्यम से देवी माँ की अलग अलग रूपों में पूजा की शक्ति, नारी, कुण्डलिनी, महायोग, साधना, हमारी कुलस्वामिनी इन सब रूपों में हमने माँ को देखा मेरा प्रयास था या इच्छा थी कि अपने ह्रदय से निकली प्रार्थनाएँ माँ के लिए लिखनी हैगुरुदेव की कृपा से, देवी माँ की कृपा से और आप सबके सहयोग और प्रोत्साहन  के कारण ही मैं यह कर पाई अलग-अलग विषयों पर रोज एक कविता लिखना मेरे लिए अब तक थोडा आसान रहा है लेकिन एक ही विषय के अलग अलग पहलुओं पर और वो भी आध्यात्मिक विषय पर लिखना मेरे जैसे अज्ञानी व्यक्ति के लिए असंभवसा था पर मूकं करोति वाचालं ऐसी कृपा उस माधव की हो तो फिर कुछ असंभव नहीं हो सकता  


मेरा लिखना कभी भी उपदेशक की भूमिका से नहीं रहा इन आध्यात्मिक विचारों को एक सामान्य संसारी साधक की डायरी कह सकते हैं आपभगवान के बारे में लिखने लगे तो साक्षात सरस्वती माँ शब्द बनकर प्रकट हो यह कोई आश्चर्य नहीं, फिर लिखनेवाली मेरे जैसी संघर्षरत सामान्य स्त्री ही क्यों न हो

नवरात्री  से पहले गणेशोत्सव में गणपती से रोज प्रार्थना होती थी नवरात्री की आठ दिन की प्रार्थनाओं के बाद मुझे गहरी शांति महसूस हुई अज्ञान के कारण ईश्वर की अनंत शक्ति के बारे में मेरे मन में जो थोडा बहुत अविश्वास था वह भी मिट गया माँ के सदा साथ रहनेवाले अस्तित्व और सान्निध्य को मैंने समझा, महसूस किया उनकी शक्ति और उन्हें क्यों शक्ति कहते हैं यह समझा

कल माँ से संवाद के रूप में दो कविताएँ लिखी थी उन्हींका हिंदी रूपांतरणअलग अलग स्तोत्र संवाद के रूप में भी मिलते हैं वैसा ही यह प्रयास या माँ की कृपा है


देवी माँ से मेरी प्रार्थना:


अनगिनत नाम है तुम्हारे
फिर भी तुम्हारा वर्णन नहीं कर पाते

अनगिनत स्तोत्र हैं तुम्हारी महिमा के
पूर्ण आज भी नहीं हो पाए

और

साहस तो देखो
तेरी इस बेटी का
तुम्हें पुकारती है
अपने अज्ञानी शब्दोंसे
अपनी बालवत प्रार्थनाओं से
आधी अधूरी तुम्हारी स्तुति से

तुम सब पसंद करती हो
तुम सब स्वीकार करती हो
तुम सब परिपूर्ण बना लेती हो
अपनी शक्ति मेरे शब्दों में भर देती हो
अपने प्रेम की कृपा बरसाकर
मेरा हर क्षण कृतार्थ कर देती हो
ये सीधे साधे भोले भोले शब्द
इन्हें तुम परिवर्तन के बीज बना देती हो

कभी सपने में भी नहीं देख सकती थी
कभी कल्पना भी नहीं कर सकती थी
ऐसा धैर्य
ऐसा साहस
ऐसा दृढ़ निश्चय
ऐसी शक्ति
तुम मेरे विचारों में भर देती हो
कर्मों में, कविताओं में भर देती हो

पेन उठाकर कुछ लिखने की कोशिश करती हूँ
कीबोर्ड पर कभी उँगलियाँ ऐसेही नाचती हैं

कविताएँ, स्तोत्र, प्रार्थनाएँ
कमल जैसे सुंदर दिव्य पवित्र फूल तुम बना देती हो

हर दिन नई मुश्किल के साथ लडती हूँ
जिन्दगी को सवारने की कोशिश करती हूँ
हर मुश्किल में मेरे शब्दों को तुम समृद्ध करती रहती हो

मेरी माँ,
हे अम्बे, भगवती, जगत्जननी
तुमने मुझे 'पूर्ण' बना दिया
आँखें बंद किये
हाथ जोड़े
शीश नवाए
तुम्हारा अस्तित्व ह्रदय में
हर क्षण महसूस अब करती हूँ

~~~o~~~


देवी माँ के आशीष स्वरूप काव्य: 


भूल जाओ सारी
चिंताएं और दुःख दर्द
तुम मेरे साथ हो

सब कुछ सँभालने मैं यही हूँ

भूल जाओ
क्या गलत हुआ

भूल जाओ
किससे क्या गलत हुआ
जिन्दगी में

भूल जाओ
कहाँ तुमसे गलती हुई
कहाँ साधना अधूरी रही

सब भूल जाओ
सब कुछ अभी

भूल जाओ
तुमसे क्या अधूरा रह गया
तुम मेरे साथ हो
तुम मेरी बेटी हो

भूल जाओ
जो समय हाथ से छूट गया

भूल जाओ
जो अवसर हाथ से छूट गएँ

भूल जाओ
जो तुमने खोया है

भूल जाओ
उसका  दर्द
जो तुमसे छीना गया है

भूल जाओ
किसने कैसे दिल पर जख्म दिए

भूल जाओ
किसने तुम्हारा विश्वास तोडा

क्योंकी तुम मेरे साथ हो
तुम्हारे विचार
तुम्हारे लक्ष्य
तुम्हारे सपने
तुम्हारे संकल्प
तुम्हारे कर्म
सब मेरे पास हैं
उनकी रक्षा करना मेरा काम है

मैं तुम्हारे साथ हूँ
तुम्हारी चिंता के लिए
तुम्हारी रक्षा के लिए


भूल जाओ
उन लोगों को
जिन्होंने  तुम्हें दर्द दिए हैं

भूल जाओ
उस दर्द को जो तुम रात दिन चुपचाप सहती हो

तुम मेरी बेटी हो
तुम मेरे साथ हो

समय मुझे बांध नहीं सकता
मेरी शक्ति असीमित है
तुम मेरी बेटी हो
तुम बन्धनों से मुक्त हो
हमेशा याद रखना
तुम मेरे साथ हो

भूत, भविष्य और वर्तमान
मैं सर्वत्र विद्यमान हूँ
मेरे लिए सब वर्तमान ही है
मैं सर्वत्र, हर क्षणमें
सदा समान रूपसे कार्यरत हूँ

तुम मेरी बेटी हो
तुम्हें कोई बंधन नहीं
हमेशा याद रखना
मैं तुम्हारे साथ हूँ
मैं तुम्हारे ह्रदय में विद्यमान हूँ


सब पूर्ण है
सब कुछ पूर्ण करना मैं जानती हूँ
सब कुछ सही करना मैं जानती हूँ

छोड़ दो
भूत, भविष्य और वर्तमान की चिंताओं को

तुम्हारे आंसू
तुम्हारे घाव
तुम्हारे दर्द
सब मुझे दो
जो विष तुम्हें मिला है
सब मुझे अर्पण कर दो
वही मेरा नैवेद्य है
वही मेरी पूजा है

मुझे चाहिए
तुम्हारे दर्द
तुम्हारी चिंताएं
तुम्हारे सारे दुःख

कभी अपने आपको अकेला मत समझना
कभी अपने आपको हारा हुआ मत समझना
कभी खुदको कमजोर मत समझना

क्योंकी तुम मेरे साथ हो
मेरी असीमित शक्ति
मेरे आशीर्वाद
मेरे संकल्प
सब तुम्हारे लिए हैं
मेरी बेटी, मोहिनी
तुम मेरे साथ हो

उन्हें भक्ति का अपमान करने दो
उन्हें तुम्हारे दुखों का अपमान करने दो
उन्हें धर्म का अपमान करने दो
जिसे जितनी तकलीफे देनी है
सब स्वीकार कर लो

मैं न्याय की रक्षा के लिए हूँ
तुम मेरे साथ हो  


Poems, Prayers and Photos blogged for this Navaratri:

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  2. Narayankripa: You Are with Me
  3. चैतन्यपुजा: क्या हम वास्तव में देवी माँ की पूजा करते हैं?
  4. KrishnaMohini: Devi Maa Temple Darshan from Village Temples
  5. Narayankripa: Do we Really worship Devi Maa? 
  6. चैतन्यपुजा: चरणकमलों में गुरुदेव आपके 
  7. चैतन्यपूजा: तेरी शरण में हूँ माँ 
  8. चैतन्यपूजा: साधन में दृढ़ निष्ठा देना
  9. जीवनमुक्ति: रक्ष रक्ष मम साधननिष्ठा  
  10. विचारयज्ञ: साधन करण्या दृढ निष्ठा दे मज
  11. Narayankripa: My Life - Sadhana