कविता: तुम्हारा प्यार - यही अच्छा लगता है

मुझे कविता लिखना अच्छा लगता है, उसे ब्लॉग करना अच्छा लगता है और प्यार की कविता ब्लॉग करनी हो तो और भी अच्छा लगता है, 



यही अच्छा लगता है
सच कहूँ तो
यही अच्छा लगता है 
जैसे भी हो
कैसे भी हो
तुम्हारा प्यार मुझ तक पहुँचता तो है
यही अच्छा लगता है

थोडासा कभी-कभी
जैसे भी
ठीक है 
फिर भी
तुम्हारा प्यार मुझ तक पहुँचता तो है
यही अच्छा लगता है

कभी सोचा नहीं था
मैंने
शायद तुमने भी ?
फिर भी
जैसा भी
हो रहा है
ठीक है
तुम्हारा प्यार मुझ तक पहुँचता तो है
यही मुझे अच्छा लगता है

तुम्हारी नाराजगी से
डर लगता है
बस् तुम मुस्कुराते रहो
जैसे भी हो
बात करते रहो
यही मुझे अच्छा लगता है
कि कम से कम
तुम्हारा प्यार मुझ तक पहुँचता तो है

और क्या लिखूँ
समझते हो ना तुम?
जैसे भी है
जो भी है
सब ठीक है
और यही मुझे अच्छा लगता है
कम से कम
तुम्हारा प्यार मुझ तक पहुँचता तो है

शिकायत
गुस्सा
नाराजगी
तुमसे तो कभी नहीं
कभी नहीं थी

प्यार
और प्यार
बस् प्यार
शायद यही मुझे अच्छा लगता है

बेचैनी
डर
चिंता
यह सब क्यों?
प्यार में?
ऐसा क्यों?
फिर भी
यह भी मुझे अच्छा लगता है
कुछ भी हो
तुम्हारा प्यार मुझ तक पहुँचता तो है

कभी आँसू भी
पता नहीं क्यों?
याद में?
बिरह में?
पता नहीं क्यों!
जैसे भी हो
पर यह मुझे अच्छा लगता है

तुम जो कहो
जैसे कहो
तुम्हारा दिल तो मुझ तक पहुँचता है
बस्...
यही मुझे अच्छा लगता है

तुम्हारा प्यार मुझ तक पहुँचता तो है   
   

मैं नहीं बोल सकती
और कुछ भी
या कभी भी 
जैसे भी हो
कोशिश की है
छोटीसी ही सही
क्या तुम्हें यह अच्छा लगता है?

जैसे भी हो
तुम्हारा प्यार मुझ तक पहुँचता तो है 

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