कृष्ण की मोहिनी - भावस्पंदन

चैतन्यपूजा में सम्मीलीत होने वाले सभी दोस्तों को जन्माष्टमी की बहुत बहुत शुभकामनाएँ!


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हम सबके प्यारे, सबके दुलारे, माखनचोर, हमारे ह्रदय चोर नटखट कृष्ण के जन्मदिन की ढेरों बधाईयाँ! 

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आज के दिन तो यहाँ बहुत वर्षा हुई...हाँ कान्हा जो आ रहें हैं. ऐसे लग रहा है सारी सृष्टी खुशी से झूम रही हो और कृष्ण के प्रेम के ही गीत गा रही हो.

आप सब जन्माष्टमी की पूजा और गोपाल कृष्ण के जन्म के स्वागत की तैयारीयां करने में व्यस्त होंगे.

हमारी सबसे पहली पूजा चैतन्यपूजा में होती है. इसलिए मैंने तो कलसे ही सब कुछ करने का तय किया था, लेकिन क्या हुआ पता है...



कल रात को एक दो घंटे समाचार पढने और विश्लेषण में चले गए. रात को लिखने बैठी तो बहुत उदास थी. क्योंकी उसका नाम लेने के बजाय, उसको याद करने के बजाय हम व्यस्त थे समाचार पढने में. मनमें प्रेम हो तो फिर क्या मुश्किल होती ..पर मैं तो सोच रही थी कि मेरे मन में अब वह प्रेम कहाँ….शायद मैं उसको भूल गयी और दुनिया की उलझनों में फस गयी .. 




बस लिखने  ही बैठी थी

और….

क्या होती है भक्ती

और

क्या होती है पूजा

मैं तो जानू प्रेम को

फिर क्या होती है अर्चना

उसका प्रेम दिन देखे रात

सूरज की तपती आग या हो

वर्षा की शीतल बूंदे

उसका प्रेम तो है सबसे परे

कैसे बांधू उसे शब्दों में….

काव्य तो बना ही है उसके प्रेमसे

कान्हा...बताओ तो मुझे

कैसे लिखूँ मैं तेरे प्रेमको

जब तूने मोह लिया है मोहिनी को….


बड़ी बड़ी किताबें बताती है तेरी महिमा..

उन्हें पढ़नेसे पहले ही तो

तू हर लेता है हर कामना

हाँ तूने जब मोह लिया

जब तेरे प्रेम में ही ह्रदय खो गया

अब तो क्या पढना...तेरे बारे में

तूने तो तुझमें ही मुझे समा लिया

बहुत तड़पी थी, बहुत रोई थी

तूने तो एक क्षण में मिटा दी

मेरी विरहवेदना!

एह्सास हुआ जब प्रेम का

भूल गयी मैं सारी दुनिया

ध्यान ज्ञान पूजा पाठ

प्रेम में खो गयी कर्मों की विधियाँ             

तेरा दर्शन एक पल का

मिट गयी सारी मोह माया ..

ब्रह्मज्ञान से भी परे

उमड़ी ह्रदयसे प्रेम की नदियाँ

आँसू बह चले पर शब्द मूक हुए

तेरे एक स्मित में

भय अहंकार के भ्रम लीन हो गए

तेरी मधुर मुस्कान ही शब्द बन गए

तेरी बांसुरी की तान

मेरे गीत बन गए

तेरी आँखों का प्यार

मेरा सौन्दर्य बन गए...  

मेरी मुस्कान से बोल उठा

तेरा ही तो प्यार

जो इस प्रेमपुजा में फूल चढ़ गए  

मेरी आवाज से बहने लगा

कृष्ण कृष्ण का गान

अरे कान्हा अब मैं हूँ ही कहाँ

तेरे प्रेमकी मोहिनी ने तूने

मोहिनी को ही मूर्त प्रेम बना दिया

कृष्ण की मोहिनी बना दिया...

कृष्णमोहिनी बना दिया




और आपके सामने यह काव्य है….अब देखें उसने प्रेमसे हमें चुरा लिया तो हम रहतें कहाँ है

आइये कृष्णप्रेम में खो जाइए...उनके प्रेम के गीत से सबकुछ भूल जाइए -राधाकृष्ण काव्य 
  

टिप्पणियाँ

  1. बहुत सुन्दर सार्थक प्रस्तुतीकरण .
    आपको भी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें!

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