श्रीरामनवमी की बधाइयाँ


श्रीरामजन्म की, श्रीरामनवमी की आप सबको हार्दिक बधाई|




बहुत आनंद का दिवस है, कुछ काव्य आपसे बाटने का मन कर रहा है| पर कुछ लिखा नहीं जा रहा है|  खेद की बात है, की भारत के एक नगर भाग्यनगर - हैदराबाद में रामनवमी उत्सव पर प्रतिबन्ध लगाया गया था|  कारण यह दिया गया था, की कुछ लोगों को इससे परेशानी होगी| (ढेरों वार्ताएँ, विडियो आपको मिलेंगे, भगवान श्रीराम से विद्वेष फैलानेवाले, केवल हैदराबाद के ही सन्दर्भ में| )

क्यों परेशानी होगी, इस बात पे किसीने सोच विचार किया की नहीं पता नहीं, परन्तु मेरी छोटीसी बुद्धि के अनुसार मुझे यह प्रतीत होता है, की भारत पंथनिरपेक्ष है, इस बात को मानने और स्वीकारने की आवश्यकता कुछ लोग नहीं समझते| तुष्टिकरण की राजनीती, एक विशिष्ट समुदाय से अब आतंकवादी तुष्टिकरण तक पहुँच गयी है| जब आतंकवादियों को ही भय नहीं, तो ऐसी बातें होना आश्चर्य नहीं|

मुझे आज तक एक प्रश्न का उत्तर नहीं मिल पाया है,  मै आपके समक्ष यह प्रश्न रखती हूँ, अगर आपके पास कोई उत्तर हो तो कृपया मुझे भी लाभान्वित करें, बहुत विनम्र भाव से मै यह प्रश्न रख रहीं हूँ, कृपया इसे अन्यथा न लें|

हर पंथ में श्रद्धा, अन्धश्रद्धाएँ होती हैं, भारतीय संस्कृति में भी हैं, समाज सुधारक, संत सब समय समय पर व्यवस्था ठीक भी करतें हैं| हम किसी पंथ की श्रद्धा या अन्धश्रद्धा को ठेंच नहीं पहुँचाते, मानवता और विश्वबंधुता के संस्कार हमारे रोम रोम में हैं| भारत में तो जो अन्धश्रद्धाएँ हमारी श्रद्धा को ठेंच पहुँचती हैं उनको भी शांति से स्वीकारा गया है| परन्तु सहिष्णुता सबमे विकसित क्यों नहीं हो पाती| मूर्तिपूजा करने की जबरदस्ती किसी पे नहीं हैं, जिन्हें ईश्वर के मूर्ति रूप, साकार रूप पे विश्वास नहीं, वह अपनी पूजा प्रार्थना अपने पद्धतीसे अपने श्रद्धा के अनुसार करें, परन्तु जिन्हें श्रद्धा है, ईश्वर के साकार रूप के प्रति प्रेम हैं, उनपर अपने विचार थोपना कौनसा शांति का धर्म हुआ? 

हमारी श्रद्धाओं का मजाक उडाना और आये दिन हिंदुओं की कट्टरता को झूठा राग आलापना, यह छलावा इस राष्ट्र की संस्कृति और राष्ट्र के नागरिकों से कब तक चलेगा?

एक राष्ट्र टुकड़े करने के बाद भी, सहिष्णुता और शांति की कुछ समझ क्यों नहीं कुछ लोग विकसित कर पातें ?

आप यह मत समझिए की मै किसी समुदाय विशिष्ट से दुराग्रह पूर्ण भावनासे बोल रही हूँ! यह सारे प्रश्न हम सब के लिए, सारे भारतीयों के लिए है! राष्ट्र के विभाजन के कारणों को आज फिरसे दोहराया जा रहा है, इतिहास को भुलाके! रामनवमी उत्सव पर प्रतिबन्ध, पृथकतावाद का स्पष्ट संकेत हैं| 


दुसरी ओर, श्रीरामजन्मभूमि मंदिर पुनर्निर्माण में राजनीती आने से हमारी श्रद्धा का ही मजाक बना दिया गया है| पंथनिरपेक्षता को तथ्य और भारतीय संविधान जाने बिना मानने वाले लोग राष्ट्रभक्ती - राष्ट्रनिष्ठा से बहुत दूर जा चुकें हैं| जाने अनजाने में राष्ट्र की एकता और अखंडता के शत्रुओं के प्रति प्रेम और उनके तुष्टिकरण में लगें हैं| 

बहुत शर्म की बात है| आस्था मे राजनीती ना हो| हिंदुत्व के दुश्मन तो तैयार हि बैठे है, नये नये षडयंत्र करने के लिए| हमने एक होके बार बार इस बात का प्रतिपादन करना चाहिए की श्रीराम केवल एक मत या पंथ के प्रतिक नहीं हैं, वरन सम्पूर्ण मानवजाति के आदर्श हैं| जिन्हें जीवन में सुख, शांति और मुक्ति चाहिए, उनके लिए श्रीराम के जीवन से सहज आदर्श और कौनसा होगा! इस बात पे जोर देने पे, हिंदुत्व के विरोधियोंसे प्रश्न करना होगा, गाव गाव में मंथन करना होगा, की आप रामलला का विरोध करतें हैं ,रामजन्मभूमि मंदिर का विरोध करतें हैं, तो क्या आप मानवता के विरोधी हैं? जो लोग कहतें हैं, देश को विकास चाहिए, मंदिर नहीं, उनसे प्रश्न करना होगा, क्या रामराज्य से भी विकसित कोई राज्य इस दुनिया में हुआ है? आज कौनसा विकास है, जहाँ आतंकवाद और घोटाले ही दिन रात बढते रहतें हैं? फिर देखना होगा की तथाकथित धर्मंनिरपेक्ष लोग क्या उत्तर देतें हैं!


रामजन्मदिवस के अवसर पर बधाइयों के साथ, भगवान श्रीराम का राष्ट्रप्रेम भी स्मरण करतें हैं 

जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी 


मेरी यह मातृभूमि मुझे स्वर्गसे भी अधिक प्रिय है | 

राष्ट्रभक्ति ही हमारा परम धर्म है| 

और राष्ट्रद्रोहियों का विरोध और उन्हें शासन होना ही चाहिए, चाहे वह कोई भी हो|

प्रभु श्रीराम राष्ट्र की एकता और अखंडता बनाये रखें| जय जय श्रीराम| (जय श्रीराम भी सांप्रदायिक हो गया, हमारे प्यारे भगवानजी का नाम भी नहीं ले सकते| )



टिप्पणियाँ





  1. जय श्री राम !
    आदरणीया मोहिनी जी
    सस्नेहाभिवादन !

    आपके विचार वंदनीय हैं …
    बहुत श्रम और श्रद्धा से तैयार इस महत्वपूर्ण आलेख के लिए नमन !

    हार्दिक शुभकामनाओं-मंगलकामनाओं सहित…
    -राजेन्द्र स्वर्णकार

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  2. धन्यवाद,,,,,,
    पोस्ट आप अच्छी और उपयोगी बना दिया है .....

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चैतन्यपूजा मे आपके सुंदर और पवित्र शब्दपुष्प.