दोस्ती की मिठास

आषाढ शुक्ल प्रतिपदा महाकवी कालिदास की जयंती है ........आपने सुना ही होगा "आषाढस्य प्रथमे दिवसे..."

कालीदास के महान नाटक और मनोरम दृश्य - काव्य हमारी संस्कृती की धरोहर है | उनकी रचनाए अभीज्ञान शाकुन्तलम, मेघदूतम सब प्रसिद्ध ही है |

बस् आज कुछ ऐसा प्रस्तुत कर रहें हैं की आपको उस जमाने की याद आ जाएगी | कालीदास के सामने तो हम धूल भी नही है परंतु......मित्रता और प्रेम यह तो कालातीत सत्य हैं, कभी उन्होने लिखे थे, आज कोई और लिख रहा है,

तो कथा ऐसी है,


तीन सखियाँ और एक कवी हमारी मित्रता की कथा के पात्र और नायक भी है |

एक दिन यह तीन प्यारिसी सखियाँ फूल चुन रही हैं, एक- दुसरे के साथ हसी मजाक कर रही है | सुख - दु:ख बाँट रहीं हैं | 

बस इसी प्यार में अपनी दोस्ती पे तीनों का ह्रदय एक कविता रच देता है............इतने में एक कवी मित्र  वहाँ आ पहुँचतें हैं, इस दोस्ती को देखके उनका ह्रदय खिल उठता है, और वो भी इन सखियों के ऊपर एक कविता रचतें हैं .......................

आज के भाग दौड़ भरे जीवन में यह सब सपना लगता हैं न ? कहाँ बगियाँ , कहाँ सखियाँ और कहाँ ऐसे कवी मित्र !

पर यह सपना नहीं है , यह है सच .............सखियाँ हैं - गीता, सिमरन, मोहिनी और हमारे प्यारे कवी मित्र मोनुजी | बगियाँ भी है - फेसबुक ! :)....................................





गपशप की दीवानी मोहू, गीता और सिम्मो रानी !!!

सिमरन, गीता, मोहिनी और कविजी मोनू  



तीन अलबेली, मस्त सहेली
जैसे पहेली, बडी अटखेली
                                         
                                       -गीता

गीत जीवन का गायें हर पल
सिमरन प्यार का फैलाए हर पल
छा गयी इनकी मोहिनी दुनिया में सारी
                                     
                                           - मोहिनी

गीता के मीठे सुर
मोहिनी का स्नेह और प्यार
सिमरन की याद बन गया जैसे
एक प्यारा त्यौहार  
खुशियों की बौछार
रंगोंका निखार
बन गया प्यारासा त्योहार
सिम मोहू और गीता का प्यार
                                      
                                                -सिमरन

सिम्मो, गीत और मोहू की यारी
खुशियाँ हैं इसमें ढेर सारी
तीनों हैं प्यारी
तीनों हैं निराली
सब जाएँ इस यारी पे वारी - वारी
सिम्मो है जैसे कोई परी
गीत है जैसे कोई राजकुमारी
और मोहू है जैसे कोई रानी  
नहीं हैं किसीको भी कोई हैरानी
क्योंकि इनकी दोस्ती है जानी – मानी
                                    
                                                - मोनु


यह रचना फेसबुक पे ही हुई है | दुनिया कितनी भी बदले प्रेम और मित्रता नये नये रूपों में प्रस्तुत होती रहेगी , दोस्ती की यह मिठास ही तो हम सबके जीवन की मिठास है |


मोनुजी द्वारा संशोधित दोस्ती का नया मंत्र Friendship = SGMsq. (S= Sim, G= Geeta, M= Monu, Mohini)

टिप्पणियाँ

  1. speechless mohinee:).. sab kah diya kuch baki na raha ...dosti ka ye nazara kahi dekhne ko na mila:D :) love u

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  2. गीताजी वाह............क्या बोलें ! :) हम भी speechless.

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  3. Maza aa gaya..la jawaab prastuti,
    dil ki baat lekhan mai utri,
    yaaron ki yaari jinki hai deewaani ye duniya saari :)
    Loved it!

    Friends Forever <3

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  4. बस आपने कथा और सुन्दर बना दी........गीताजी और सिमरनजी !

    <३ <३

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  5. Mohini ji,
    sach me bahut sundar aur sarthak prastuti...facebook par to aisa hi parivarik mahaul banana chahiye....
    Hemant
    http://childrensheaven.blogspot.com

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  6. हेमंतजि चैतन्यपूजा में आपका स्वागत है | बहुत प्रसन्नता हुई यह सुनकर की यह प्रस्तुति आपको अच्छी लगी | :) आते रहिएगा |

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  7. फेसबुक परिवार से और सुन्दर विचार इस प्रस्तुति पर,

    अशोक Jhanjati ji !

    द्वारा,

    "आप लोंगो की कविता पढ कर बहुत अच्छा लगा... बहुत अच्छी दोस्ती... वाह .. क्या बात है... भाग्यशाली है आप लोग,
    कविता से भी अच्छी आप लोगो का एक दूसरे के प्रति लगाव ... आज की स्वार्थ की दुनिया मे कहाँ इतने लोग मिल पाते है."

    प्रेम प्रदीप जी द्वारा

    "mohini jii...kavita bachpan ki tarah nirdosh thi...aur bhavnaye parvat ki tarah vishal...jis tara se abhivyakt kiya gaya...adbhut..."

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  8. बहुत सुंदर|
    महाकवि कालिदास का जो उदाहरण दिया है वह प्रासंगिक है|
    सच में ये सपना लगता है आज की दुनिया में किन्तु ये वास्तव है|
    सभी को मेरी हार्दिक शुभकामनाये,आप की मित्रता असिही बनी रहे|अधिकाधिक बढे|
    किसी की नज़र ना लगे|
    ईश्वर की कृपा आप सभी पे बनी रहे|

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  9. दादा, सच में भाग्यशाली हूँ, ऐसे मीठे मीठे दोस्त मिले हैं | सच में किसीकी नजर न लगे |

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  10. " गीता "," सिमरन "," मोहिनी "," कवि-मोनू " के लाग..
    और बीच में आ गया बहका " चम्पक-राग "..
    बहका चम्पक-राग बड़ा है दिल से चूजा,
    चेतनता से दूर चला करने वो " चैतन्यपुजा "...!

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  11. कुमार कश्यप जी चैतन्यपूजा में आपका हार्दिक स्वागत|आपके शब्दपुष्प से तो यह बगिया और भी खिल उठी| धन्यवाद कहना बड़ा अटपटा लगता है, आते रहिएगा | :)

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चैतन्यपूजा मे आपके सुंदर और पवित्र शब्दपुष्प.