दम घुटता है यहाँ अब

मेरे ह्रदय की, एक आम भारतीय के ह्रदय की पीड़ा मैंने आपके समक्ष रखने का प्रयत्न किया है| मेरा ना किसी राजनैतिक पक्ष से लगाव है, न किसी संगठन से| कोई भी राष्ट्रहित का काम करें तो प्रशंसनीय हैं और राष्ट्रद्रोही बहिष्कार के योग्य हैं| 


 दम घुटता है यहाँ अब
जहाँ स्वातंत्र्य नहीं अभिव्यक्ति का
दम घुटता है यहाँ अब
जहाँ बोलबाला है
बिके हुए गुलामों का 
अजीब है दुनिया तुम्हारी 
हे भगवन!
कैसे नहीं दम घुटता उनका 
जिन्होनें पैसे के लिए बेच दिया 
अपने ही 'स्वातंत्र्य' को 
मेरा तो आज दम घुटता है 
जीने का न मन करता है 
जब बोलबाला दीखता है 
बीके हुए गुलामों का !
राष्ट्रप्रेम तो रग रग में होता है 
हर सास में होता है 
राष्ट्रप्रेम का ठेका कैसे किसी 
'नाम' को दिया जाता है 
राष्ट्र को कैसे किसी 
'घराने' का गुलाम 
बना दिया जाता है
हमने तो बचपन से 
यही सीखा था, 
"व्यक्ति से ऊपर राष्ट्र है"
राष्ट्र से ऊपर यह स्वार्थ 
कैसे आज हुआ?
दम घुटता है यहाँ अब 
मेरा 
चमचों की ही भरमार है जहाँ 
दम घुटते घुटते ही 
यह जीवन गुजर गया 
बोलने का पर मुझे 
साहस न हुआ 
एक ही प्रश्न ह्रदय को 
जला रहा है 
जीवन दु:ख की आग में 
धकेल रहा है 
क्या दम घुटते घुटते ही 
मेरा जीवन गुजर जायेगा?
क्या इन चमचों की गुलामी 
देखते देखते ही साहस मर जायेगा?
गुलाम तो बिके हैं 
देशद्रोहियों के हातों
हम क्यों मरे इन गुलामों के हातों?
मरने से पहले एक बार 
तो जुबान खोलनी ही है 
सत्य की एक ललकार 
मुझे अब देनी ही है 
नहीं घुटने देना है अब 
दम मेरा 
न औरोंको घुट घुट के 
मरते देखना है 
'स्वतन्त्र' तो जीवन है 
सदा हमारा 
बिके हुए गुलामों को भी 
है अब आजाद कराना
जन जन में है एहसास 
जगाना 
भारत को हिन्दुराष्ट्र 
है फिरसे बनाना 


कृपया हिन्दू राष्ट्र शब्द व्यापक अर्थों में लें| संकुचित और पूर्वग्रहदूषित अर्थ से न लें| यह राष्ट्र हमेशा हर श्रद्धा का आदर और सम्मान करता आ रहा है और सदा करता रहेगा | (और वैसेभी जहाँ हर धर्म के लिए हम ही अलग अलग संविधान बना रहें हैं, वहाँ सोचने वाली बात है की क्या हम सही अर्थोंमे धर्मनिरपेक्ष हैं ?)

अधर्म करनेवाला अत्याचारी रावण विद्वान् ब्राह्मण होते हुए भी युगों युगों से हर वर्ष दहन किया जाता है | वेदों को न माननेवाले बुद्ध हमारे लिए भगवान हैं | समूचे विश्व को कुटुंब बनाने की प्रार्थना, "वसुधैव कुटुम्बकम" इस राष्ट्र के ऋषियों ने विश्व में सर्वप्रथम की है|


कुछ और मुद्दे राष्ट्रहितमें -  


  • भारत के शत्रुओं से और बीके हुए राष्ट्र द्रोहियोंसे तो धर्म निरपेक्षता की शिक्षा लेने की बिलकुल आवश्यकता नहीं है| 

  • 'भगवाकरण' यह शब्द इस राष्ट्र को और इस राष्ट्र के सम्मानीत कर दाता नागरिकों को गाली है और मानवता के विरुद्ध भीषण अपराध है | यह एक मानव को दुसरे मानव से कम ठहराना है | भारत के राष्ट्र ध्वज में यहीं भगवा रंग है| बिके हुए गुलाम तिरंगे का भी अपमान कर रहें हैं | जो संवैधानिक अपराध है| 

  • 'कश्मीर की आजादी' जैसे शब्दप्रयोग करनेवालें राष्ट्र द्रोही हैं | हमेशा स्मरण रखियें, भारतीय संविधान के अनुसार जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है | इसलिए बिके हुए गुलामों की और उनके मालिकों की साजीश में न आएं|

  • जिन्हें इतिहास अंश तक पता नहीं, ऐसे कितने ही लोग हर क्षेत्र में विशेषत: पत्रकारिता में राष्ट्र विरोधी बातें फैलातें रहते हैं | ऐसे लोगों का बहिष्कार करें| 

और
  • किसी भी राजनैतिक दल की सत्ता हो, परन्तु राष्ट्र किसी की निजी संपत्ति नहीं है | अगर किसी पक्ष को ऐसा भ्रम हो रहा हो, तो उन्हें इस भ्रम से निकालना और राष्ट्र हित से अवगत कराना जनता का कर्त्तव्य है |
  • आतंकवाद का समर्थन करनेवाले कोई भी हो, राष्ट्रद्रोही हैं, सत्ता या विपक्ष, पत्रकार या मनोरंजन क्षेत्र  के लोग| 





   


टिप्पणियाँ

  1. Wah Mohu,
    Tumhari har pankti mai ek jaan hai, josh hai,aur sahas bhi..Bohot khoob!

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  2. बहुत अच्छा!
    ज्यादा क्या लिखू?
    सब कुछ उसमे आ गया है|

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  3. सिमरन! बहुत अच्छा लगा, इस काव्य के प्रती आपकी भावना पढके | बहुत बहुत प्यार |

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  4. हम सबकी यही पीडा है गीताजी | इस कविता को प्रोत्साहित करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार. हमारी तरफ से जो हो सके करते रहेंगे|

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  5. बहुत खूब लिखा है मोहिनी...बिलकुल आजकल के माहोल को बहुत खूब सटीक शब्दों में उकेरा है....आम आदमी जो राष्ट्रप्रेम करता है उसके दिल की व्यथा इस लेख में बहुत सही सही और सीधे सीधे शब्दों में व्यक्त किया है.

    अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर राष्ट्रप्रेम और राष्ट्रहित के बारे में सोचे ऐसे कम ही लोग है आजकल...मगर मुझे विचार बहुत ही अच्छे लगे...आज हर आम आदमी के मन में येही विचारधारा चल रही होगी...युही वो खुद अपने को इन् देश बेचने वालो के सामने बेबस महसूस करता होगा...

    आपकी यह कविता निसदेह: जोशीली, साहसपूर्ण और विचारनिए है..

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  6. हेमाजी बहुत बहुत आभार | आपकी इस गहरी टिपण्णी के लिए | ऐसेही प्रोत्साहित करते रहिएगा |

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  7. Main wahi kahoongi jo sab upar keh chuke hai... bahut sundar! Dil ko choone wali panktiyan, aake yeh chand shabd har bhartiya ki soch ko bakhubi bayan karte hai... Bahut khub Mohinee :)

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  8. आरती जी ! आपका बहुत बहुत आभार| बहुत दिन चूप रहे, पर एक दिन हृदय बोल उठा |

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चैतन्यपूजा मे आपके सुंदर और पवित्र शब्दपुष्प.