और भी कुछ अच्छा लगता है ............


इस काव्य का पूर्व भाव  कुछ अच्छा लगता है पहले अवश्य अनुभव करियेगा |

बहुत समय बाद  कुछ अच्छा लगता है ............फिरसे प्रस्तुत कर रही हूँ |  जो प्रस्तुत कर रहे हैं, वैसा भाव मन में न हो तो मन के भावों के विपरीत काव्य प्रस्तुत करना एक तरह की मजबूरी लगती है | हम तो यहाँ पूजा करने आते हैं | मजबूरी काहे की  ! और समय के साथ मंदिर का स्वरुप भी कुछ नया सा है | हो भी क्यों ना | हमारे मनमे सहज ही भक्तिभाव जागृत हो चराचर में व्याप्त चैतन्य के लिए . तो हर काम पूजा बन जाता है और जहाँ भी हम हो वही मंदिर बन जाता है | यह ब्लॉग तो मंदिर ही है  | यहाँ आपके भी सुन्दर सुन्दर शब्द पुष्प आ रहे है | 
तो चलिए , आज देखतें हैं की हमें और क्या क्या अच्छा लगता है | देखिये!  सदगुरुदेव की कृपा कैसी होती है | मन अपने आप 'अमन' हो जाता है ........यही तो 'सच्चा नमन' है, नमन की यह व्याख्या मेरी नहीं मेरे सदगुरुदेव परम पूजनीय नारायणकाका महाराज की है | यह नमन, ईश्वर के प्रति, सबके प्रति मेरे गुरुदेव के असंख्य रूप आप सबके प्रति  |

तुलसी का वह पौधा 
कितना अच्छा लगता है 

एक बालक भोलासा 
बहुत अच्छा लगता है 

बालक जैसा मन हमारा 
बहुत अच्छा लगता है 

एहसास यह भोलाभाला 
बहुत अच्छा अच्छा लगता है 

काव्य रोज नया नया 
अच्छा ही लगता है 

दोस्त वह पुराना 
अच्छा ही लगता है 


प्यार एक नया नया 
अच्छा ही लगता है 


जीवनसे प्यार मनसे प्यार 
प्यारसे प्यार अच्छा लगता है

दु:ख हलका कर दे 
रुदन वह अच्छा ही लगता है 


मन का बोझ मिटा दे 
दर्शन वह ईश्वर का 
अच्छा ही लगता है 


अच्छा अच्छा सब कुछ 
ईश्वर का रूप हर ओर 
सच्चा लगता है 

मीठा मीठा यह पल 
अच्छा ही लगता है 

तृष्णा से परे तृप्त जीवन 
खूब अच्छा लगता है 

निराशा का एक बादल 
वह भी अच्छा लगता है 

आशा यश प्रेम की वर्षा 
सब कुछ अच्छा लगता है 

चंद्र तारे निशा अन्धीयारी 
सब कुछ अच्छा लगता है 

अमावास की रात काली 
काली मा का यह स्वरूप 
अच्छा लगता है 

भीषण अंध:कार भी 
नयासा लगता है 
अंधकार भी देता है 
शक्ती प्रकाश ढुन्ढनेकी 
इसलिये प्रकाश के साथ 
तिमिर भी अच्छा लगता है 

बस बस क्या कहू 
सबसे बाते करना 
अच्छा ही लगता है 

प्रेमकी सौरभ हर दिशामे 
फैले, एक काम यह 
अच्छा लगता है 

संदेश विश्वबंधुता का 
सद्गुरुजीने जो दिया 
अब इसे फैलाना 
बस् यही
 अच्छा लगता है

स्वप्न यह आज वास्तव 
मनको बडा अच्छा लगता है 

हिंदी यह नव जींवन 
अच्छा लगता है 

दत्त का यह स्मरण 
अच्छा लगता है 

भाव हर पल नयासा 
अच्छा लगता है 

ब्लाग यह नया नया 
अच्छा लगता है 

श्रीरामसे मिलन हुआ
जीवन अब सार्थक लगता है 

क्या लगता क्या नही लगता 
मनसे परे अमन हो 
नमन यह... नमन यह.....

तालाब वह शांतसा 
मन बन गया हंस सा 

सूर्य का प्रकाश यह 
अब अच्छा लगता है 

मधुर संगीत निसर्ग का 
अच्छा लगता है 

आशा निराशा से परे 
जीवन यह 
अच्छा लगता है 

ज्ञान यह नया नया सा 
अच्छा लगता है 

कार्य पूर्ण हुआ मनका 
अच्छा लगता है 

मन भोलासा कोई 
बच्चा लगता है 

स्मरण आज दादिका 
बहुत अच्छा लगता है 

ईश्वर की देन यह प्राण मेरा 
अच्छा लगता है 

तन मन अर्पण ईश्वरको 
सपना यह सच्चा लगता है 

भक्ति का रूप यह नया
आज फिरसे अच्छा लगता है 

बिल्लिका वह बच्चा छोटासा 
बहुत प्यारा लगता है 

थंडी हवा का स्पर्श 
अच्छा लगता है 

मौसम कोई भी हो 
खुश रहना हमें 
सदा अच्छा लगता है 
सदा अच्छा लगता है........

 सब कुछ अच्छा अच्छा हि लगता है......
सदा सब कुछ अच्छा अच्छा ही लगता है 

और 

क्या यह काव्य, 
मन का यह भाव दिव्य 
आपको 
अच्छा लगता है ?

इस काव्य का एकेक भाव इतना सुन्दर है की क्या वर्णन करूँ ! कितने सुन्दर अर्थ छिपे हैं इसमें | आपको यह तो नहीं लगेगा यह मेरी आत्म प्रशंसा है, आपको तो पता है ना, यह तो भगवान का उपहार है, नहीं तो इतना सुन्दर काव्य ऐसेही कैसे लिख देती |
तुलसी का पौधा , भोलासा बालक और बालक जैसा मेरा मन ...सब एक ही इशुधा पवित्र दर्शातें है | इसका अर्थ हमारा मन पवित्र हुआ तो सब ओर हमें पवित्रता नजर आती है और मन का ही मैल विश्व में गन्दगी दिखता है | स्वामी विवेकानंद जी की दिव्य वाणी में मैंने यह बात सदैव सुनी है (देखिये! जब भी हम स्वामीजी की बातें पढतें हैं, क्या ऐसा नहीं लगता है की वो आज भी हमसे बात करतें हैं |) की आपको अब भी दुनिया में कहीं बुराई नजर आ रही है इस बात का दुःख होना चाहिए | कुछ शब्द जैसे अभी  स्मरण हो रहें हैं , कुछ गलत हो तो क्षमा करियेगा, परन्तु उनको जो कहना है वह यही है | अब मै सोचती थी, 'मुझे तो बुराई नजर आती है, पाप नजर आता है , दुनिया में | तो क्या करूँ |' सच बताऊँ, यह लिखते समय ,अभी मुझे समझ में  आ रहा है की स्वामीजी क्या कहना चाह रहें हैं |

यहाँ गांधीजी का विषय लिखके मुझे काव्य की सुन्दर दिशा और भाव दूषित नहीं करना है | परन्तु एक प्रश्न उठता है, भलेही हमारी नजर में हर ओर पवित्रता भरी हुई है, परन्तु व्यवहार की और सामाजिक जीवन की मर्यादा अध्यात्म के नाम पे छोड़ना क्या सही होगा? मेरा कहने का अर्थ है , भगवान मेरे देशबांधव में भी है और मेरे देश के शत्रु में भी है ..सत्य है ,  और इन दोंनो की पूजा भी होनी चाहिए , पर देशबांधव की पूजा बंधुत्व से और राष्ट्रद्रोही की पूजा उसको दंड देके | मुझे थोडासा ऐसा लगता है, हम अध्यात्म पूरी तरह से उलट कर के देख रहें हैं | जो गांधीजी की दृष्टि से हम देख रहे हैं | और देश के हर प्रश्न में यह उलट दृष्टि अतिशय भयानक सिद्ध हो रही है |
इस काव्य के सारे भाव विस्तृत रूपसे प्रसिद्ध करने का प्रयत्न है, आपका सहयोग और प्रेम ऐसेही मिलता रहे | 















टिप्पणियाँ

  1. गीताजी! आपको हमारा काव्य कुछ अच्छा लगता है, बहुत ज्यादा अच्छा लगता है! :) इस सुंदर शब्दपुष्प के लिये बहुत आनंदित हुं|

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  2. Aapki kavitaye dil ko choo jaati hain... Sunder shabd ki rachnaye yunhi karte rehna :)

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  3. बहुत सुन्दर अभिब्यक्ति| धन्यवाद|

    जवाब देंहटाएं
  4. हाँ यह काव्य मन का दिव्य भाव बहुत अच्छा लगता है,बहुत सुन्दर लगता है|

    सच में स्वामी विवेकानंद जो कहते थे वह अब समझ में आ रहा है|
    "राष्टद्रोहियोंकी पूजा दंड दे के करनी चाहिए",यह बहुतही महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है|कारण हमेंशा लोंगोंको अध्यात्म के नाम से भ्रमित किया जाता है|"सब में ईश्वर विद्यमान है"यह जो बात हमारे शास्त्रोमे है उसका विकृत अर्थ समाज के सामने प्रस्तुत किया जाता है|

    सब से प्रेम करनेकी, शत्रु से भी द्वेष न करने की,विश्वबन्धूत्व की जो हमारी संस्कृति है,वह यहाँ उत्कृष्टता से अभिव्यक्त की गयी है|

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  5. अच्छी लगी कविता.
    मगर गांधीजी के जिक्र का औचित्य समझ न सका.

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  6. तृष्णा से परे तृप्त जीवन
    खूब अच्छा लगता है
    निराशा का एक बादल
    वह भी अच्छा लगता है .....


    वाह वाह वाह
    बहुत ही सुन्दर
    पढ़कर बहुत ही मन आनंदित हुआ
    आभार


    शुभ कामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  7. kavita mein chupe ahsaas aur imandaari apki pratibha mein hain.dil ki awaaz door talak jayegi.

    जवाब देंहटाएं
  8. आरतिजि! यह कवितये और शब्द्पुष्प आपके हृदय को स्पर्श कर जाते है यह सुनके कितना आनंद हुआ यह क्या बताऊ | आपका प्रेम और प्रोत्साहन मिलता रहे बस...ऐसेही सुंदर रचना होती रहेगी | प्रभू कृपा हमारे उपर बरस रही है| :)

    जवाब देंहटाएं
  9. Patali - The - Village आपका चैतन्यपूजा मे हार्दिक स्वागत है| आपके सुंदर शब्दपुष्प के लिये हृदय से धन्यवाद| ऐसेही प्रोत्साहित करते राहियेगा | :)

    जवाब देंहटाएं
  10. Patali - The - Village....आपके ब्लॉग्स अतिशय सुंदर है! आप यहाँ आये ....हमें भी आपके ब्लॉग पर आने का पता मिला गया | आपका बहुत बहुत धन्यवाद |

    जवाब देंहटाएं
  11. अभिषेक जी! आपका चैतन्यपूजा मे हार्दिक स्वागत है | आपकी कविता अच्छी लगी यह सुनके आनंद हुआ | सबमें भगवान देखना या सबसे प्रेमपूर्वक व्यवहार करना | इसका एक भ्रमित अर्थ भी लिया जाता है| भ्रमित अर्थ से मूल अद्वैत और अहिंसा का सिद्धांत हि हास्यास्पद किया जाता है | इसमे कही गांधीजी की सोच भी कारण है| इसलिये इस विषय के दोनो पहलू यहाँ आ गये है | आशा है आप पूजा में आते रहेंगे |आपके शब्दपुष्प के लिये बहुत बहुत धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  12. क्रिएटिव मंच आपका चैतन्यपूजा मे हार्दिक स्वागत है| आपके शब्दपुष्प पढके मेरा भी मन बहुत आनंदित हुआ|आपके शब्दपुष्प के लिये और शुभकामनाओ के लिये बहुत बहुत धन्यवाद और साधुवाद भी |

    जवाब देंहटाएं
  13. प्रतिभा जी ! आपका इस पूजा में हृदयसे स्वागत है| आपने जो शब्द पुष्प यहां जोडा है, उसपे क्या लिखू, समझ में हि नही आ रहा है | आपने मेरे भाव एक हि कविता पढ के पुरी तऱ्ह से जान लिये | आपके इस प्रेमपूर्ण अभिव्यक्ती के लिये आभार कैसे मानू| प्रेम का कोई मूल्य नही हो सकता | आपकी शुभकामना और प्रोत्साहन और हा प्रेम मेरे हृदय की आवाज जरूर दूर तक पहुचायेगी | आपके ऐसेही शब्दपुष्प इस पूजा को विश्वभर में फैला रहे है|

    जवाब देंहटाएं
  14. बहुत सुन्दर प्रस्तुति. शुभकामनाएँ...
    हिन्दी ब्लाग जगत में आपका स्वागत है, कामना है कि आप इस क्षेत्र में सर्वोच्च बुलन्दियों तक पहुंचें । आप हिन्दी के दूसरे ब्लाग्स भी देखें और अच्छा लगने पर उन्हें फालो भी करें । आप जितने अधिक ब्लाग्स को फालो करेंगे आपके अपने ब्लाग्स पर भी फालोअर्स की संख्या बढती जा सकेगी । प्राथमिक तौर पर मैं आपको मेरे ब्लाग 'नजरिया' की लिंक नीचे दे रहा हूँ आप इसका अवलोकन करें और इसे फालो भी करें । आपको निश्चित रुप से अच्छे परिणाम मिलेंगे । धन्यवाद सहित...
    http://najariya.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  15. इस सुंदर से चिट्ठे के साथ आपका हिंदी ब्‍लॉग जगत में स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

    जवाब देंहटाएं
  16. मै बहुत हि देर से आपके शब्दपुष्प पे कुछ लिख रही हू! कुछ ऐसे कारण होते गये की इस पोस्ट पे उत्तर लिखना और आपको धन्यवाद देना रह गया! हो सके तो क्षमा करीयेगा!

    जवाब देंहटाएं
  17. सुशील जी आपका चैतन्यपूजा मे हार्दिक स्वागत है! आपकी यह शुभ्कामानाये मेरे उज्ज्वल भविष्य की हि सूचक है! आपका हृदय से धन्यवाद! :)मै और ब्लॉग भी देखने का प्रयत्न अवश्य करती हुं, परंतु समयाभाव के कारण कभी कभी असंभव सा हो जाता है!

    आपके सुझाव के लिये अत्यंत आभारी हूँ !

    आपकी यह सुंदर शुभकामानाये मेरे लिये क्या है , मै बात नही सकती!

    जवाब देंहटाएं
  18. हरीश सिह जी! आपका चैताण्य्पुजा मे हार्दिक स्वागत है! आपको यह ब्लॉग और हमारी पूजा अच्छी लगी यह जानके बहुत खुशी हुई ! आपके इस आमंत्रण ने आपने मेरा बहुत हि सम्मान किया है ! आपके शब्दपुष्प और आपके सम्मान के लिये मै आपकी हृदयसे आभारी हूँ!

    आपका ब्लॉग सुंदर और वैचारिक मंथन निर्माण करने वाला है! :)

    जवाब देंहटाएं
  19. संगीताजी ! आपका चैतन्यपूजा मे हृदयसे स्वागत है ! आपकी शुभकामनाओ के लिये और स्वागत के लिये बहुत बहुत आभारी हूँ ! :)

    जवाब देंहटाएं
  20. जयदेव जी ! चैतन्यपुजा मे आपका हार्दिक स्वागत है! हां इतना सब कुछ हि नही और भी बहुत कुछ अच्छा लगता है! :)आपके प्यारेसे शब्दपुष्प के लिये धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  21. Mohini ji.Kavita to theek haimagar gandhi ji ke baare mein bada bhramak prachar kar rahi hain aap ya badi hi bhramakta se bhari hain aap.

    Ahinsa ka siddhant ghandhiji ne kaise galat kiya ye mujhe to samajh nahin aata.Gandhi ji ko samajhne ke liye unhein padhna bhi zaroori hai- jaise 'Hind-swaraj'aur gandhi ji ki 'bhagwadgeeta'

    जवाब देंहटाएं
  22. Mohini ji.Kavita to theek haimagar gandhi ji ke baare mein bada bhramak prachar kar rahi hain aap ya badi hi bhramakta se bhari hain aap.

    Ahinsa ka siddhant ghandhiji ne kaise galat kiya ye mujhe to samajh nahin aata.Gandhi ji ko samajhne ke liye unhein padhna bhi zaroori hai- jaise 'Hind-swaraj'aur gandhi ji ki 'bhagwadgeeta'

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  23. सुशील जी आपका चैतन्यपूजा मे हार्दिक स्वागत है! आपकी यह शुभ्कामानाये मेरे उज्ज्वल भविष्य की हि सूचक है! आपका हृदय से धन्यवाद! :)मै और ब्लॉग भी देखने का प्रयत्न अवश्य करती हुं, परंतु समयाभाव के कारण कभी कभी असंभव सा हो जाता है!

    आपके सुझाव के लिये अत्यंत आभारी हूँ !

    आपकी यह सुंदर शुभकामानाये मेरे लिये क्या है , मै बात नही सकती!

    जवाब देंहटाएं
  24. प्रतिभा जी ! आपका इस पूजा में हृदयसे स्वागत है| आपने जो शब्द पुष्प यहां जोडा है, उसपे क्या लिखू, समझ में हि नही आ रहा है | आपने मेरे भाव एक हि कविता पढ के पुरी तऱ्ह से जान लिये | आपके इस प्रेमपूर्ण अभिव्यक्ती के लिये आभार कैसे मानू| प्रेम का कोई मूल्य नही हो सकता | आपकी शुभकामना और प्रोत्साहन और हा प्रेम मेरे हृदय की आवाज जरूर दूर तक पहुचायेगी | आपके ऐसेही शब्दपुष्प इस पूजा को विश्वभर में फैला रहे है|

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  25. मै बहुत हि देर से आपके शब्दपुष्प पे कुछ लिख रही हू! कुछ ऐसे कारण होते गये की इस पोस्ट पे उत्तर लिखना और आपको धन्यवाद देना रह गया! हो सके तो क्षमा करीयेगा!

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  26. kavita mein chupe ahsaas aur imandaari apki pratibha mein hain.dil ki awaaz door talak jayegi.

    जवाब देंहटाएं
  27. तृष्णा से परे तृप्त जीवन
    खूब अच्छा लगता है
    निराशा का एक बादल
    वह भी अच्छा लगता है .....


    वाह वाह वाह
    बहुत ही सुन्दर
    पढ़कर बहुत ही मन आनंदित हुआ
    आभार


    शुभ कामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  28. बहुत सुन्दर अभिब्यक्ति| धन्यवाद|

    जवाब देंहटाएं
  29. बहुत सुन्दर प्रस्तुति. शुभकामनाएँ...

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चैतन्यपूजा मे आपके सुंदर और पवित्र शब्दपुष्प.